नई दिल्ली: कई शहरों में हिंसा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में दंगा और 75 से ज्यादा लोगों की जान जानें के बाद केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन क़ानून वापस नहीं लिया जबकि देश में कई दर्जन शहरों की सड़कों को काफी समय तक शाहीन बाग़ भी बनाया गया था लेकिन उन लोगों को कोई फायदा नहीं मिला जिन्होंने लोगों को नागरिकता संशोधन क़ानून के नाम पर भड़काया था। तमाम नेताओं के सपने भी चकनाचूर हो गए और कोरोना आ गया और कोरोना ने शाहीन बाग़ की सड़क भी खाली करवा दिया। ऐसे लोगों ने अब दूसरी साजिश की तरफ कदम बढ़ा दिया है। सूत्रों द्वारा जानकारी मिली है कि बांद्रा काण्ड के पीछे वही टीम थी जो शाहीन बाग़ के पीछे थी। गिरफ्तार विनय दूबे का फेसबुक पेज और उसके द्वारा पोस्ट किये गए तमाम वीडियो पूरी साजिश का पर्दाफाश कर रहे हैं। जो सोशल मीडिया को एक फीसदी भी जानते हैं वो विनय दूबे की पोस्ट और वीडियो देख सब समझ जाएंगे। बांद्रा काण्ड के 24 घंटे से ज्यादा हो गया है और कुछ लोगों को सांप सूंघ गया है जिसे देख लग रहा है कि बांद्रा काण्ड के पीछे पूरी टीम थी और पूरी टीम की साजिश से बांद्रा में हजारों लोग सड़क पर एक साथ उतरे थे। इस टीम में जेहादी, अर्बन नक्सली, खान मार्केट गैंग, टुकड़े गैंग, वामपंथी मीडिया सहित कई गैंग और शामिल हैं और सत्ता का ख्वाब देख रहीं कुछ पार्टियां इस टीम की अगुआई कर रही हैं और शाहीन बाग़ में कुछ पार्टियों के नेता गए भी थे।
हरियाणा अब तक को अपने खास सूत्रों से जानकारी मिली है कि ये टीम अब देश के मजदूरों को, प्रवासी श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों को अपना मोहरा बनाना चाहती है और उन्हें भड़काकर मौत के मुँह में धकेलना चाहती है। अगर हजारों मजदूरों की कोरोना से मौत हो जाएगी तो ये टीम मोदी को घेर सकेगी इसलिए ये देश में अधिक से अधिक लाशें देखना चाहती है। ये टीम पूरे देश के मजदूरों को भड़काने में जुटी है। उन्हें कहा जा रहा है कि लाकडाउन टू आपकी जान ले सकता है। आप भूख से मर जायेंगे। इस तरह से उनमे डर बिठा लकडाउन तुड़वा उन्हें कोरोना ग्रस्त बनाना इस टीम का मुख्य उद्देश्य है। टीम के कुछ ख़ास लोग महलों में बैठे हैं, फाइव स्टार होटलों में बैठे हैं और फाइव स्टार दफ्तरों में बैठे हैं और खुद लॉकडाउन का पालन इसलिए कर रहे हैं ताकि उनकी जान न जाए लेकिन उन्होंने अपने तमाम गुर्गे छोड़ रखे हैं और वो गुर्गे मजदूरों और प्रवासियों को गुमराह कर घर से बाहर निकाल एक जगह इकठ्ठा इसलिए कर रहे हैं ताकि अधिक से अधिक मजदूरों की कोरोना से जान जाए और उनके आका मोदी सरकार को घेर सकें और मजदूरों का वोट हासिल कर सकें।
एक पुरानी कहावत है कि जिसका पेट माँ के दूध से नहीं भरता उसका पेट पिता के अंगूठे को चूस कर भी नहीं भरेगा। ये कहावत सत्य होगी। घटिया राजनीति करने वाले नागरिकता क़ानून का विरोध करवा 75 से ज्यादा लोगों की जान लेने पर भी हारे थे। अगर इन लोगों ने मजदूरों को गुमराह कर उनकी जान लिया तब भी हारेंगे ,ये लोग कौन हैं, ट्विटर पर होंगे तो समझ जायेंगे। कल बांद्रा में हजारों लोग इकठ्ठा हुए, कहा गया ये प्रवासी मजदूर हैं, अपने घरो को जाना चाहते हैं, उस भीड़ में एक भी महिला नहीं दिखी, क्या मजदूर इतने बेदर्दी हैं कि वो भूख से मर रहे थे और अकेले ही रेलवे स्टेशन पहुँच गए और अपने बच्चों को, पत्नी को भूख से मरने के लिए छोड़ दिया। बड़े लोग अपने बच्चों के साथ ऐसा कर सकते हैं लेकिन मजदूर नहीं। भीड़ एक साजिश थी और पड़ोस से बुलाई गई थी। पूरा खुलासा कल करेंगे।
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