फरीदाबाद: लॉकडाउन के कारण अधिकतर लोगों के काम-काज बंद हैं। लोग घरों में रहकर लाकडाउन का पालन करने के साथ साथ अपने बच्चों का किसी तरह से पेट पाल रहे हैं। स्कूल-कालजे बंद हैं और छात्र में घरों में ही हैं। शहर में लाखों ऐसे लोग हैं जो बहुत मुश्किल से अपने बच्चों को किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाते थे लेकिन काम काज बंद होने के कारण फिलहाल स्कूल की फीस नहीं दे सकते। कई जगहों से लोग फोन कर रहे हैं कि घर में एक हफ्ते का राशन नहीं है और स्कूल फीस देने पर दबाव बना रहे हैं।
जिस स्कूल में बच्चे कई साल से पढ़ रहे हैं और हमेशा से अविभावक फीस देते आ रहे हैं उन स्कूल मालिक एक महीने की भी प्रतीक्षा नहीं कर पा रहे हैं और फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं। उन्हें अपने छात्रों से प्यार नहीं है। वो शिक्षा देने का काम नहीं एक तरह से धंधा कर रहे हैं। ऐसे समय में जब सक्षम लोग जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं तब वाले अपनी तिजोरी भरने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।
शिक्षा बाजारू हो चुकी है ये तो हर कोई जानता है और देश में शिक्षा माफियाओं का बोलबाला है ये भी हर कोई जनता है। सरकारें शिक्षा माफियाओ पर लगाम लगा नहीं पा रही हैं ये भी हर कोई जानता है। मार्च अप्रैल में शिक्षा माफिया कॉपी-किताब, जूते, जुर्राब, एडमीशन के नाम पर मोटी वसूली करते थे लेकिन कोरोना आ गया और लॉकडाउन चल रहा है।
आज से लगभग तीन दशक पहले गुरु को भी भगवान् जैसा माना जाता था लेकिन अब ऐसा कम देखा जा रहा है क्यू कि अधिकतर गुरुओं को पैसे से मतलब है। छात्र देने में जरा सा भी लेट हो जाते हैं तो उन्हें परीक्षा नहीं देने दिया जाता। स्कूलों से निकाल तक दिया जाता है। कहीं-कहीं तो मासूम छात्रों की पिटाई तक कर दी जाती है जबकि पढ़ाई के लिए अध्यापक छात्रों को जमकर पीटते थे लेकिन छात्र बुरा नहीं मानते थे। ताउम्र अपने गुरु को गुरूजी ही कहते थे लेकिन अब गुरूजी पैसे के लिए पीटते है इसलिए ऐसे गुरुओं की अब छात्र इज्जत भी नहीं करते। फरीदाबाद के एक निजी स्कूल ने इस तरह से सन्देश भेज फीस जमा करने को कहा है। देखें
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