नई दिल्ली: दिल्ली से मजदूरों का पलायन जारी है। कल रात्रि बारिश के समय हजारों मजदूर बार्डर के आस पास बारिश से बचने का प्रयास करते दिखे जो अब फिर सड़कों पर हैं। कोई साइकिल से 800 किलोमीटर जाने का प्रयास कर रहा है तो कोई रिक्शे पर लेकिन अधिकतर मजदूर पैदल जा रहे हैं। एक-एक बाइक या एक रिक्शे पर पूरा परिवार अपने गांव तक पहुँचने का प्रयास कर रहा है। फरीदाबाद के लोग इन मजदूरों की राश्ते में सेवा करते दिख रहे हैं लेकिन 700-800 किलोमीटर की दूरी कम नहीं होती। पूरे राश्ते में इन्हे मदद की जरूरत है।
यह वीडियो मैंने अभी अभी बनाई है सुबह से बहुत लोगों की मदद कर चुका हूं लेकिन इस परिवार को देख कर रहा नहीं गया इसलिए की वीडियो आप सब तक पहुंचा रहा हूं सरकार इनके लिए तुरंत कुछ करें लोग भूखे प्यासे अपने घर लौट रहे हैं,@RubikaLiyaquat @ndtvindia @PMOIndia @ABPNews @cmohry pic.twitter.com/xO5XgLL8HJ— Vijaybaisla99 (@vijaybaisla99) March 26, 2020
सोशल मीडिया पर मांग की जा रही है कि इनके लिए जल्द परिवहन की व्यवस्था की जाए लेकिन बड़ा सवाल फिर वही उठ रहा है कि कहीं कोरोना अब गांवों तक न पहुँच जाए। मुंबई में स्लम बस्ती में कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं। कहा जा रहा है कि वो मजदूर जो बड़े घरों में काम करते थे उनके से कोई कोरोना पॉजिटिव भी हो सकता है। दिल्ली मुंबई में कोरोना पॉजिटिव के ज्यादा मामले आये हैं और इन्ही शहरों से पलायन भी ज्यादा हो रहा है। यही कारण है कि राज्य सरकारें अपने लोगों को वहीं रहने को कह रही हैं जहां वो इस समय हैं और सरकारें वहीं इन्हे मदद पहुंचाने को तैयार हैं।
इन मजदूरों को लेकर अब राजनीति भी होने लगी है। बड़े नेता तरह-तरह के ट्वीट कर रहे हैं लेकिन कोई ऐसा ट्वीट नहीं कर रहा है कि इन मजदूरों की सहायता वहीं की जाए जहाँ ये इस समय हैं। नेता मौका देख राजनीति चमकाने का जुआड़ कर रहे हैं। दिल्ली इतनी कमजोर नहीं है कि 10 लाख मजदूरों को 20 दिन तक भोजन न करा सके लेकिन फिर वही बात कि अब दिल्ली वालों में दिल नहीं रहा। मकान मालिक खुद इन मजदूरों को निकाल रहे हैं। इंसानियत के नाते एक महीने का किराया न लेते तो लगभग सब ठीक रहता लेकिन शायद उनका दिल अब बहुत छोटा हो गया है।
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