नई दिल्ली: उन्हें पेट्रोल बम नहीं दिख रहा है। उन्हें हेड कांस्टेबल रतन लाल के परिजनों का दर्द नहीं दिखा। उन्हें अंकित शर्मा का वो शव नहीं दिखा जो सैकड़ों बार चाकुओं से गोदा गया था। वो ताहिर हुसैन को बेकसूर साबित करने में जुटे हैं। वो शाहरुख को बेकसूर बता रहे हैं। वो विदेशी अख़बारों की कटिंग पोस्ट कर रहे हैं जिसमे दिल्ली हिंसा का आरोप केंद्र सरकार पर लगाया जा रहा है। ये सब एक बड़ी साजिश के तरह हो रहा है। देश के एक बड़े पत्रकार के एक ट्वीट से लग रहा है कि उनकी हर उस आर्टिकल पर उन्हें लाखों मिल रहे हैं जिसमे लोग दिल्ली हिंसा का जिम्मेदार केंद्र सरकार को साबित करने का प्रयास कर रहे हैं।
उनकी पीछे देश को बदनाम करने वालों का हाथ हो सकता है। इसके लिए वो माल भी पा रहे हैं। आप ध्यान से देखें इन दिनों कुछ तथाकथित मीडिया वाले दिल्ली दंगे की स्टोरी चला रहे हैं लेकिन ऐसे लोग अंकित शर्मा और हेड कांस्टेबल रतन लाल के परिजनों का दर्द बांटने उनके घर नहीं पहुँच रहे हैं। न उनके बारे में कुछ दिखा रहे हैं। ऐसे लोग एक दूसरे समुदाय के यहाँ पहुँच रहे हैं। उन्ही का दर्द छाप रहे हैं। दिल्ली हिंसा में कई धर्मों के लोग मारे गए थे लेकिन ऐसे लोग माल के चक्कर में सिर्फ अपना एजेंडा चला रहे हैं। हाल में एक अख़बार ने छापा कि अंकित शर्मा के हत्यारे तिलकधारी थे जिसके बाद वामपंथी मीडिया ने उसे खूब शेयर किया। इन्होने किया लिखा था पढ़ें। ये आईडी एनडीटीवी के रविश कुमार की बताई जाती है।
पैसे के लिए लोग कितना गिर जाते हैं ये इस ट्वीट से पता चल रहा है कि विदेश से देश को बदनाम करने के लिए फंडिंग होती है। विदेश से इन्हे इनाम भी दिया जाता है। बरखा दत्त जैसे कुछ लोगों के विदेशों में आर्टिकल ऐसे ही नहीं?
Why i am angry? A US Newspaper today asked me write on Delhi Riots asking how many died on Religion basis in connection with Trump's visit. Rate was $1500 for 1000 words....My Reply was : Your President Trump rightly call you as Presstitutes @#$%^&* @#$%^ 😡😡 https://t.co/DIdQBusN5a— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) February 29, 2020
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