पलवल, 28 मार्च। उपायुक्त नरेश नरवाल ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 21 दिन के लॉकडाउन के चलते निजी और सार्वजनिक परिवहन बंद होने के कारण जिला में प्रवासी श्रमिकों और बेघर लोगों को अस्थायी आश्रय स्थलों में भोजन और आश्रय देने का निर्णय लिया है। ऐसे अस्थायी आश्रय स्थलों में रहने के दौरान, सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का पालन अनिवार्य है।
पलवल जिला में 22 अस्थाई आश्रय स्थलों के माध्यम से प्रवासी श्रमिकों, बेघरों व जरूरतमंदों को भोजन, दवा व अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराकर राहत पहुंचाई जा रही है। जिला प्रशासन की अपील पर सामाजिक व धाॢमक संस्थाओं के साथ-साथ पलवल जिला में बड़ी संख्या में लोगों ने इस मुश्किल घड़ी में जरूरतमंदों को राहत पहुंचाई है। जिला प्रशासन की देख-रेख में सामाजिक व धाॢमक संस्थाओं ने जिला से गुजरने वाले 18 हजार से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया। साथ ही 395 घरों में एक सप्ताह का सूखा राशन भेजा गया। उन्होंने कहा कि जिस भी संस्था को प्रशासन से मदद चाहिए वह नगराधीश कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।
उपायुक्त ने जानकारी देेते हुए बताया कि अस्थायी सामुदायिक आश्रयों में उनके ठहरने की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की जाएगी। इसके अलावा, उन्हें भोजन और दवाइयों जैसी अन्य आवश्यक वस्तुएं भी उपलब्ध करवाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूरों जैसे कि फैक्ट्री श्रमिकोंं, निर्माण कामगारों, ईंट-भ_ा मजदूरों, रेहड़ी फेरीवालों, दैनिक मजदूरों, पल्लेदारों, रिक्शा चालकों, दुकानों और प्रतिष्ठानों, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षा संस्थानों में आकस्मिक श्रमिकों और सुरक्षा गार्डों, सफाईवालों, भिखारियों और यहां तक कि साधुओं के आवागमन पर रोक लगाने और उन्हें अस्थायी सामुदायिक आश्रय स्थलों में रखने के हरियाणा सरकार ने निर्देश जारी किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि पलवल जिला में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 22 स्थानों पर ऐसे आश्रय स्थल बनाए गए है। पलवल उपमंडल के पलवल शहर में पांच, बहरौला-बामनीखेड़ा-पृथला में एक-एक, होडल उपमंडल के होडल शहर में चार, मितरोल में दो, बंचारी व गांव सराय में एक-एक तथा हथीन उपमंडल के हथीन शहर, उटावड़, खेड़ली जीता, मंडकोला, बहीन व कौंडल में एक-एक आश्रय स्थल बनाया गया है। सामुदायिक केंद्रों, धर्मशालाओं, पंचायत घरों, स्कूलों व चौपालों में बनाए गए इन आश्रय स्थलों पर शौचालय और पेयजल की उचित व्यवस्था है।
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की अवधि के लिए उन्हें इन अस्थायी आश्रय स्थलों में रखने के दौरान, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का सख्ती से पालन किया जाए। उन्होंने बताया कि यदि ऐसे आश्रय स्थलों में खाना पकाने की सुविधा है तो उन्हें पके हुए भोजन के पैकेट या सूखे राशन के रूप में दिन में दो बार भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है। संबंधित उपमंडल अधिकारी (ना.) व ड्यूटी मजिस्ट्रेट सहित चिकित्सकों की टीम के साथ-साथ सामुदायिक भागीदारी के लिए विभिन्न संस्थाओं को भी सरकार के इस प्रयास से जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि सरकार का प्रयास कि आपदा के दौरान कोई भी भूखा न सोए।
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