नई दिल्ली: देश शायद वामपथियों के इरादों को समझ चुका है इसलिए अब इन्हे ज्यादा भाव नहीं दिया जा रहा है। 2019 के लोकसभा चुनावों में वामपंथी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट) पश्चिम बंगाल से अपना सूपड़ा साफ करवा चुकी है जबकि केरल में वह महज एक सीट ही जीत पाई। तमिलनाडु में सीपीएम को 2 सीटों पर जीत मिली। अब भी वामपंथी उसी राह पर चल रहे हैं। देश में नागरिकता क़ानून को लेकर अब माकपा नेता वृंदा करात ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने पूछा कि सीएए में रोहिंग्या और अहमदिया मुसलमानों को शामिल क्यों नहीं किया गया, जबकि धार्मिक आधार पर उनका भी उत्पीड़न हो रहा है।
वृंदा ने कहा, अगर सरकार को पड़ोसी देशों में लोगों पर हो रहे अत्याचारों की इतनी ही चिंता है तो रोहिंग्या और अहमदिया को भी नए कानून में जगह देनी चाहिए थी। क्योंकि ये लोग भी अपने देश में अल्पसंख्यक हैं और उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है। नया नागरिकता कानून बांटने वाला और भेदभावपूर्ण है।
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