नई दिल्ली: दिल्ली में कश्मीर जैसी पत्थरबाजी के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं लेकिन कुछ देर में कुछ मीडिया वाले ये बता सकते हैं कि पत्थरबाजों के हाथों में पत्थर नहीं फूल थे, जो जेहादी पिस्टल चला रहे हैं उनके हाथ में होली की पिचकारी बता सकते हैं और जिस पुलिसकर्मी की हत्या जेहादियों ने की गई हो सकता है पुलिसकर्मी की ही गलती बता दें।
एक क़ानून के विरोध के नाम पर ये लोग इतने आक्रोशित हो गए हैं कि इन्हें किसी की जान लेने में भी गुरेज नहीं हो रहा है। उपद्रवियों की ओर से की गई फायरिंग में हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की जान चली गई। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर विरोध प्रदर्शन के नाम पर उपद्रवियों की हिंसा को जायज कैसे ठहराया जा सकता है। इन्होने पेट्रोल पंप जलाया। कई जगहों पर उपद्रव मचाया लेकिन टुकड़े गैंग के लोग और अर्बन नक्सली अब भी सोशल मीडिया पर जेहादियों का साथ देते दिख रहे हैं। पुलिसकर्मी की मौत पर अर्बन नक्सली कुछ नहीं बोल रहे हैं। किसी पत्थरबाज की एक उंगली भी जख्मी हुई है तो उसी को दिखा रहे हैं।
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