फरीदाबाद: अवैध खनन मामले पर पुलिस कर्मियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है जबकि अवैध खनन के असली जिम्मेदार खनन विभाग है। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के प्रधान एडवोकेट एलएन पाराशर का जिन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों पर आरोप लगा सरकार खनन माफियाओं को बचाना चाहती है।
पाराशर ने कहा कि मैंने अरावली पर अवैध खनन को लेकर सैकड़ों बार खनन विभाग पर सवाल उठाया और कुछ माफियाओं पर ही खनन विभाग ने केस दर्ज करवाया। अधिकतर मामलों में खनन माफियाओं को खनन विभाग ने बचाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि खनन विभाग और वन विभाग के अधिकारीयों की मिलीभगत से अरावली का चीर हरण हुआ। कई पहाड़ गायब कर दिए गए और माफियाओं ने अवैध फ़ार्म हॉउस बना लिए। पाराशर ने कहा कि खनन विभाग जब शिकायत करता है तभी पुलिस एफआईआर दर्ज करती है। खनन विभाग ने अधिकतर खनन माफियाओं के खिलाफ कोई शिकायत ही नहीं दर्ज करवाई इसलिए खनन माफियाओं का हौसला बढ़ता गया और अवैध खनन जारी रहा।
पाराशर ने कहा कि कई कई बार अरावली के खनन माफियाओं का पर्दाफाश किया लेकिन खनन विभाग के अधिकारी खनन माफियाओं पर हल्की धाराओं में मामला दर्ज करवा अपना उल्लू सीधा कर लेते थे। खनन माफिया जमानत करवा फिर खनन करने लगते थे। पाराशर ने कहा कि फरीदाबाद में पिछले एक दशकों में जितने भी खनन विभाग के अधिकारी आये उनकी संपत्ति की जांच करवाई जाए। इससे पता चल जाएगा कि खनन विभाग के अधिकारियों ने कितना माल इकठ्ठा किया है।
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