नई दिल्ली: देश के विकास में नक्सली, जेहादी और उनके समर्थक रोड़ा अटका रहे हैं। देश में जिहाद को बढ़ावा देने वाली संस्था ने कुछ तथाकतर्हित पत्रकारों के बैंक खातों में भी शायद कुछ रकम डाल दी है तभी ये पत्रकार कभी अफजल गुरु को बेगुनाह बताते थे अब शरजील इमाम के साथ खड़े हैं। कल ओवैसी की जनसभा में पकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाली लड़की को बेगुनाह बता रहे हैं तो ओवैसी के प्रवक्ता वरिष्ठ खान को भी दूध का धुला बता रहे हैं लेकिन ये गिनती में बहुत कम हैं इसलिए इनकी नहीं चल रही है।
हरियाणा अब तक के 90 फीसदी सूत्र आप सच पाएंगे और अब हमें अपने खास सूत्रों से जानकारी मिली है कि कट्टरपंथी संगठन पीएफआई ने कुछ ऐसे लोगों को फंडिंग की है जो देश के दलित समाज को सरकार के खिलाफ भड़काने का काम कर रहे हैं। पीएफआई ने जिन्हे फंडिंग की है वो सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट बनाकर दलित समाज को भड़का रहे हैं। जेहादियों ने मिश्रा, शुक्ला, ठाकुर नाम से कई फेक आईडी बनाई हैं और उन फेक आईडी से दलितों के खिलाफ अपशब्द लिए जा रहे हैं ताकि दलित मिश्रा, शुक्ल, ठाकुर से नाराज हो जाएँ। बहुत बड़ी चाल चली जा रही है। पीएफआई का टारगेट है कि दलितों को भड़काया जाए और मुसलमानों से जोड़ा जाये। पढ़े लिखे दलित तो सब समझ रहे हैं। उन्हें पता है कि देश के सबसे बड़े पद पर दलित बैठा है और रामनाथ कोविंद देश के राष्ट्रपति हैं लेकिन अनपढ़ पीएफआई के बहकावे में आ रहे हैं। दलित समाज का मसीहा बना रावण भी दलितों को भड़का रहा है। कहा जा रहा है कि पीएफआई ने मोटी फंडिंग की है। रावण अगर सच में दलितों का मसीहा होता तो राजस्थान के नागौर में जाता जहाँ दलित के साथ हैवानियत हुई। उसकी गुदा में पेट्रोल? पैसा मिला है वहां नहीं गया। भाजपा की सर्कार होती और ऐसा हुआ होता तो सबसे पहले जाता।
हमें अपने सूत्रों से खास जानकारी ये भी मिली है कि इसके लिए पीएफआई ने बहुत बड़ी फंडिंग की है। कुछ तथाकथित मीडिया संस्थानों का भी साथ लिया है। हमने जाँच पड़ताल की तो पता चला कि मोदी, शाह योगी को पीएफआई के कारनामों के बारे में काफी पता है। योगी थोड़ा ज्यादा आक्रामक हैं और नागरिकता कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में आग लगवाने वालों को उन्होंने ठुकवा दिया। राजनीति के तजुर्बेकारों से हमने इस बारे में राय ली तो उनका कहना है कि जब तक मोदी, शाह और योगी हैं तब तक न पीएफआई की दाल गलेगी न ही कोई जेहादी बच सकेगा। ये बातें उन्हें भी पता हैं जो देश के कई राज्यों में सड़कों पर बैठे हैं। उन्हें बहला और भड़काकर पीएफआई ने ही सड़कों पर बैठाया है और वामपंथी, नक्सली उनका साथ दे रहे हैं जबकि पीएफआई फंडिंग कर रही है। कई अन्य बातें भी सामने आ रहीं हैं। देश में ऐसे करोड़ों मुस्लिम भी हैं जो कलाम जैसे हैं लेकिन इन मुस्लिमों को पीएफआई के चमचों के कारन तौहीन का सामना करना पड़ रहा है।
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