नई दिल्ली: 16 फरवरी को अरविन्द केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्य्मंत्री पद की शपथ लेंगे। इस बार केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को भी शपथ ग्रहण का मुख्य अतिथि बनाया है। आज उन्होंने पीएम मोदी को भी आमंत्रित किया। केजरीवाल के खास चाहने वालों का कहना है कि 2024 में अब मोदी केजरी में जंग होगी लेकिन सोशल मीडिया की मानें तो आम आदमी पार्टी को बाहर के राज्यों में अभी न के बराबर भाव मिल रहा है। दिल्ली चुनावों में भाजपा ने कई राज्यों के मुख्य्मंत्री, कई केंद्रीय मंत्री और 200 सांसद चुनाव प्रचार में उतारे। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी बैटिंग की लेकिन सीटें सिर्फ 8 मिलीं। आम आदमी पार्टी 62 सीटें झटक ले गई। भाजपा का वोट प्रतिशत औसत रहा लेकिन पार्टी को खास फायदा नहीं मिला। आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में करीब 54 प्रतिशत मत हासिल किए जबकि भाजपा को 38.5 फीसदी वोट मिले जो ज्यादा कम नहीं हैं। भाजपा अब मंथन कर रही है कि दिल्ली में हमारा हाल बेहाल क्यू हुआ। भाजपा के बड़े-बड़े नेता फाइव स्टार होटलों या बड़े आफिस में मंथन करेंगे लेकिन क्यू हारे उन्हें हरियाणा अब तक बता रहा है।
कल रात्रि कई घंटे मैं दिल्ली में था। कई वीडियो पोस्ट किया जिसमे दिल्ली की हकीकत दिखाई। तमाम पाठकों ने लिखा है कि ये वीडियो चुनाव के पहले पोस्ट करना था। पाठकों को बता दें कि मैं किसी का बनता खेल बिगाड़ना नहीं चाहता था और मैं भी चाहता था कि घमंडी नेताओं को सबक मिले इसलिए चुनावों के पहले हमने कुछ ख़ास नहीं किया।
भाजपा की बात करें तो दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी अपने दम पर नहीं मोदी लहर के कारण सांसद बने हैं और भाजपा की हार के सबसे बड़े खलनायक मेरी नजर में वही है। जबसे वो अध्यक्ष बने हैं तबसे वो नौटंकी ही कर रहे हैं। कई बार अपने बयानों से वो अपनी और पार्टी की फजीहत करवा चुके हैं। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी के आईटी सेल ने उन्हें नचनिया साबित करने का प्रयास किया और सफल भी रहा। हरियाणा में अशोक तंवर की तरह मनोज तिवारी दिल्ली में एक मजबूत टीम नहीं बना सके।
चुनावों में भाजपा ने कई मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और सैकड़ों सांसदों को मैदान में उतारा लेकिन सच कड़वा होता है और सच ये है कि ये सभी बड़े नेता? बड़े वाले नेता हैं। ये दिल्ली के चौराहे पर तो भाषण दे सकते हैं लेकिन संकरी गलियों में, टूटी-फूटी सड़कों पर ये नहीं जा सकते और गए भी नहीं क्यू कि ये बड़े नेता हैं। जाम वगैरा में फंसना नहीं चाहते थे इसलिए तमाम कालोनियों, बस्तियों में ये नहीं गए जहां वोटों का भण्डार होता है।
ये नेता संकरी गलियों और टूटी फूटी सड़कों पर जाते तो ये केजरीवाल को दिल्ली के विकास का आइना दिखा सकते थे जैसे हमने कल रात्रि दिखाया था। हरियाणा अब तक अपने सूत्रों की मानें बड़े नेता एक दो जनसभाएं करते थे फिर अपनी आलीशान कोठी या किसी फाइव स्टार होटल में आराम फरमाते थे। ये नेता जहां जाते भी थे वहाँ CAA-NRC राम मंदिर, अनुच्छेद 370 के मुद्दे उठाते थे जबकि केजरीवाल मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, फ्री बस यात्रा, शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ही बोलते रहे। एक महीने पहले से जनता के दिमाग में मुफ्त का माल भर दिया था और उस समय भी हमने अपने पाठकों को बताया था कि दिल्ली में फिर केजरीवाल क्यू कि मनोज तिवारी की नौटंकी मैं देख था। कुछ लोगों का कहना है कि केजरीवाल ने मीडिया को मैनेज कर रखा था तो उन्हें बता दें कि भाजपा भी ऐसा कर सकती थी लेकिन भाजपा नेताओं के दिमाग में घमंड भरा था और आप जानते है कि घमंड किसी का नहीं चलता। चुनावों के कई महीने पहले केजरीवाल ने तजुर्बेकार मीडिया के लोगों से संपर्क किया। प्रशांत किशोर का साथ लिया लेकिन घमंडी भाजपा नेता घमंड में चकनाचूर रहे।
फिर बात करते हैं मनोज तिवारी की तो इनकी टीम का कर्तव्य बनता था कि घटिया सड़कों, सीवर पानी जैसे समस्या जहाँ है उसका दिल्ली में प्रसार करें लेकिन लगता है तिवारी के पास ऐसी कोई टीम ही नहीं थी। चुनावों में भाजपा के आईटी सेल से कहीं ज्यादा आप का आईटी सेल मजबूत दिखा। केजरीवाल की सोशल मीडिया टीम भी तिवारी की टीम से बहुत ज्यादा अच्छी दिखी। दिल्ली भाजपा को उसका घमंड ले डूबा। नाम नहीं लूँगा लेकिन इतना बता दे रहा हूँ कि लोकसभा में भाजपा ने कई ऐसे लोगों को टिकट देकर दिल्ली का सांसद बना दिया जो काम के न काज के दुश्मन अनाज के साबित हो रहे हैं। दिल्ली भाजपा के अंदर तमाम कमियां दिखीं सभी कमियों को लिखने में पूरी रात्रि निकल जाएगी। अन्य खबरें छूट जाएंगी। चुनावों के समय आप ने तिवारी के कई वीडियो वाइरल किये। एक वीडियो देखें जो अब वाइरल हो रहा है।
#DelhiResults— Tabu Zahra 🇮🇳 (@tabu_zahra) February 11, 2020
When Amit Shah calls Manoj Tiwari to ask about Delhi Results 🤣#DelhiResults pic.twitter.com/cmDxmzrMLw
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