चण्डीगढ़, 3 जनवरी- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों व अधिकरणों में हिंदी भाषा के उपयोग के संबंध में हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 के संशोधन को लाने के लिए एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की।
राज्य के लोगों की भाषा के रूप में हिंदी का प्रचार प्रसार करने के लिए यह आवश्यक है कि इस भाषा का उपयोग हमारे दिन-प्रतिदिन के काम में प्रयोग की जानी चाहिए। लोकतंत्र में न्याय का उद्देश्य यह है कि वादी को अपनी भाषा में जल्दी न्याय मिलना चाहिए और कार्यवाही के दौरान वह अवाक न रहे।
हरियाणा राज्य के आधिकारिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा हिंदी को अपनाने के लिए हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 को राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किया गया था। हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 के तहत हिंदी को हरियाणा राज्य की आधिकारिक भाषा बनाया गया। तब से, हिंदी भाषा का उपयोग ज्यादातर प्रशासन की भाषा के रूप में किया जा रहा है। पंजाब राजभाषा अधिनियम, 1967 में 1969 के पंजाब अधिनियम संख्या 11 द्वारा संशोधन किया गया था, जिसमें धारा 3ए और 3बी जोड़े गए थे, कि सभी सिविल न्यायालयों और आपराधिक न्यायालयों में पंजाब एवं हरियाणा के उच्च न्यायालय के अधीनस्थ थे और सभी राजस्व न्यायालय और अधिकरण, में काम पंजाबी में किए जाएंगे।
इसी तरह के संशोधन को हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 में भी लाया जाएगा, जो कि सभी न्यायालयों में उस कार्य को प्रदान करने के लिए, उच्च न्यायालय के अधीनस्थ और राज्य सरकार द्वारा गठित सभी न्यायाधिकरणों द्वारा हिंदी में देवनागरी लिपि में काम किया जाएगा और हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 में धारा 3ए को जोड़ा जाएगा, जिसके तहत पंजाब एवं हरियाणा के उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सभी सिविल अदालतों और आपराधिक न्यायालयों में, सभी राजस्व अदालतें और रेंट ट्रिब्यूनलों या किसी अन्य अदालत या राज्य सरकार द्वारा गठित न्यायाधिकरण, ऐसी अदालतों और न्यायाधिकरणों में कार्यवाही, कोई भी निर्णय, डिक्री या आदेश पारित, हिंदी में होगा।
मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय लिया कि प्रस्तावित संशोधन के सुचारू क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कर्मचारियों के प्रशिक्षण सहित सभी अपेक्षित अवसंरचना को छह महीने के भीतर प्रदान किया जाएगा।
हरियाणा सरकार को हरियाणा राज्य के 78 विधायकों, हरियाणा के महाधिवक्ता और सैकड़ों अधिवक्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक मांग पत्र भी प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने न्यायालयों में उपयोग के लिए हिंदी भाषा को अधिकृत करने हेतू अपनी रुचि भी व्यक्त की है ताकि हरियाणा के नागरिक पूरी न्याय प्रक्रिया को अपनी भाषा में समझ सकें और आसानी से न्यायालयों के समक्ष अपने विचार रख सकें। हाल ही में, केरल उच्च न्यायालय के हीरक जयंती कार्यक्रम में, राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने स्वयं इस बात पर भी बल दिया कि न्यायालय के निर्णयों को वादी-प्रतिवादी की भाषा में उपलब्ध कराया जाना चाहिए। भारत के अधिवक्ताओं, बुद्धिजीवियों और न्यायविदों द्वारा शुरू किया गया भारतीय भाषा अभियान इस दिशा में भी काम कर रहा है कि भारत के न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में काम शुरू किया जाना चाहिए।
इसलिए, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधीन न्यायालयों व अधिकरणों द्वारा दिए गए या पारित किए गए किसी भी निर्णय, डिक्री या आदेशों के लिए हिंदी भाषा के उपयोग को अधिकृत करना विवेक सम्मत है।
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