चंडीगढ़: हरियाणा भाजपा में आपस में ही बड़े नेताओं में झगड़ा अब सार्वजनिक होने लगा है। अनिल विज के बयान और ऐक्शन सीएम मनोहर लाल को पसंद नहीं आ रहे हैं इसलिए उन्होंने भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाक़ात की। शायद मनोहर लाल को ढोंग, ढकोसले अब भी ज्यादा पसंद हैं। विज के काम करने का तरीका उन्हें रास नहीं आ रहा है। भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और हरियाणा अब तक अपने खास सूत्रों से पता चला है कि समय से पहले हरियाणा भाजपा में ठीक उसी तरह से भगदड़ मचेगी जैसे विधानसभा चुनावों से पहले अन्य पार्टियों में मची थी और अन्य पार्टियों के नेताओं में भाजपा में शामिल होने की होड़ लग गई थी।
उस समय हरियाणा में भाजपा के मिशन 75 का तेज रफ़्तार का तूफ़ान चल रहा था और तमाम बड़े नेता 80 से लेकर सभी 90 सीटों पर भाजपा की जीत बताने लगे थे इनमे कई केबिनेट मंत्री भी शामिल थे जो भाजपा की 80 से ज्यादा सीटों पर जीत बता रहे थे लेकिन इस तूफ़ान में वो केबिनेट मंत्री भी बह गए और विधायक तक नहीं बन सके।
विपक्ष की बात करें तो 75 पार के तूफ़ान में इनेलो के अधिकतर नेता राह भटक गए, चश्मा उतार फेंक भाजपा में शामिल हो गए । कांग्रेस के कई बड़े नेता इस तूफ़ान को झेल नहीं सके और उनके भी पैर लड़खड़ा गए और वो भी भाजपा के पाले में चले गए। जजपा के कई नेता भी इस तूफ़ान के बाद भाजपा के पाले में देखे गए, बसपा के एकमात्र विधायक भी तूफ़ान नहीं झेल सके और वो भी भाजपा के पाले में चले गए। चुनावों के ठीक पहले सीएम मनोहर लाल की यात्रा के बाद तूफ़ान ने अपना रुख बदल दिया और इस तूफ़ान की चपेट में भाजपा ही आ गई और 75-80-90 नहीं भाजपा 40 पर सिमट गई।
अब हरियाणा अब तक को अपने ख़ुफ़िया सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ भाजपा के पाले में पहुंचे हरियाणा की कई पार्टियों के नेता गुणा-भाग लगाने में जुटे हैं। ऐसे नेता सोंच रहे हैं कि पीएम के गृह राज्य में भाजपा जाते-जाते बची और उसके बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में चली गई। उसके बाद हाल में महाराष्ट्र में भी भाजपा की सरकार नहीं बनी। हरियाणा में खट्टर को दुष्यंत की वैशाखी की जरूरत पडी और झारखण्ड से भी भाजपा गायब हो गई। हरियाणा के एक दर्जन से ज्यादा नेता हाथ मल रहे हैं। उन्हें लगता है कि वो अपनी पार्टियों में रहते और चुनाव लड़ते तो विधायक बन सकते थे। भाजपा में शामिल होने के बाद कइयों को टिकट नहीं मिली। अब ऐसे नेताओं को लगता है कि उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में है।
खास सूत्रों से जानकारी मिली है कि जो नेता विधायक बनना चाहते नहीं और 75 पार के तूफ़ान में उनकी राह भटक गई थी, वो सब भाजपा छोड़ सकते हैं। कांग्रेस से भाजपा में गए लगभग 87 फीसदी नेताओं की घर वापसी हो सकती है। ऐसे नेताओं का कहना है कि 75 पार का तूफ़ान बनावटी था। हम समझ नहीं सके और राह भटक गई।
वर्तमान में हरियाणा भाजपा में जो चल रहा है उस पर ऐसे नेताओं की निगाह है, तमाम नेता जब भाजपा छोड़ेंगे तो भाजपा पर कई चौंकाने वाले आरोप भी लगाएंगे। कुछ नेता ये भी कह सकते हैं कि टिकट के लिए कई करोड़ रूपये की मांग की जा रही थी।
नेता किसी पर कोई आरोप लगा सकते हैं, झूंठा आरोप हुआ तो माफी मांग लेंगे लेकिन आग लगे बिना धुंआ नहीं उठता। भाजपा में शामिल हुए हरियाणा के कई नेताओं को उम्मीद है कि हो सकता है उन्हें मान सम्मान मिल जाए लेकिन अभी तक शायद एक भी नेताओं को मान सम्मान नहीं मिला है। चुनावों के पहले विधायक थे और भाजपा में शामिल हो गए उन्हें किसी विभाग का चेयरमैन तक नहीं बनाया गया इसलिए दर्जनों नेताओं का अब हरियाणा भाजपा से मोहभंग हो गया है। तमाम नेता भाजपा छोड़ सकते हैं। समय का इन्तजार कर रहे हैं। भाजपा छोड़ने वाले अधिकतर नेता कांग्रेस के पाले में जा सकते हैं।
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