नई दिल्ली: साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीएफआई के लगभग दो दर्जन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था। यूपी में हुई हिंसा में इनका शामिल होना बताया गया। उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव तैयार कर गृह विभाग को भेजा था। डीजीपी मुख्यालय ने अपनी सिफारिश में पीएफआई के बारे में लिखा था कि इसके ज्यादातर सदस्य इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा था कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) युवाओं को कट्टरपंथी बनाना चाहती है और उन्हें आतंकवाद की ओर धकेलना चाहती है।
मोहसिन रजा ने पीएफआई के पीछे आईएसआई का हाथ होने का भी दावा किया था। दिल्ली के कई जगहों पर इस समय नागरिकता क़ानून के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है जहाँ से ऐसे वीडियो आ रहे हैं जिनमे छोटे छोटे बच्चे पीएम और गृह मंत्री के खिलाफ आग उगल रहे हैं और मोदी-शाह को मारने की बात कर रहे हैं। अब अफवाह है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ही ये प्रदर्शन करवा रही है। पीएफआई के साथ कुछ वामपंथी जुड़ चुके हैं। प्रदर्शनकारियों को धन उपलब्ध करवाया जा रहा है। बच्चों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है।
पत्रकार राहुल सिन्हा ने एक ट्वीट किया है और लिखा है कि शाहीन बाग ,खुरेजी,ज़ाफराबाद अब लखनऊ नागरिकता कानून के विरोध में लोगों को सड़को पर बैठाया जा रहा है,महिलाओं को आगे किया जा रहा है,इस विरोध में कुछ लोग पैसे जुटा रहे हैं और कुछ भीड़,क्या इसके पीछे PFI है? अगर ऐसा है तो सरकार को जल्द कदम उठाने होंगें वरना देश में अराजकता फैल सकती है।
ये लोग जो भी हैं इनको देश से कोई लेना देना नहीं है और ये सही समय है देशविरोधी तत्वों की पहचान करने का और इनका इलाज़ भी आतंकवादियों की तरह ही किया जाना चाहिए अब बहुत हो गया वोटबैंक कब तक हमारे टैक्स के पैसों से इनको पालेगे , देश रहेगा तो हम रहेंगे— DYANAND KUMAR (@DYANAND44160881) January 18, 2020
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