चंडीगढ़, 21 जनवरी- हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब कक्षा नौंवी से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को भी नि:शुल्क पुस्तकें दी जाएंगी, वर्तमान में पहली से आठवीं कक्षा तक पुस्तकें, स्कूल बैग, स्टेशनरी व वर्दी नि:शुल्क दी जा रही हैं। नौंवी से 12वीं कक्षा तक नि:शुल्क पुस्तकें देने से राज्य सरकार द्वारा करीब 41.47 करोड़ रूपए का भार वहन किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि ‘राष्टï्रीय शिक्षा नीति-2019’ में भी नि:शुल्क शिक्षा के दायरे को आठवीं कक्षा से बढ़ाकर 12वीं कक्षा तक किए जाने की सिफारिश की गई है। हालांकि ‘राष्टï्रीय शिक्षा नीति-2019’ देश में अभी तक लागू नहीं की गई है परंतु हरियाणा सरकार ने इस सिफारिश को पहले ही मानने का निर्णय ले लिया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नौंवी कक्षा से 12वीं तक एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं जिनकी लगभग 650 रूपए से लेकर 700 रूपए तक प्रति कक्षा प्रति विद्यार्थी कीमत होती है। उन्होंने बताया कि नौंवी कक्षा से 12वीं तक विद्यार्थियों की संख्या 6,19,256 है जिनकी पुस्तकों का कुल खर्च 41 करोड़ 47 लाख 57 हजार 450 रूपए है।
श्री कंवर पाल ने बताया कि उक्त चारों कक्षाओं की पुस्तकों को पुस्तकालयों अथवा बुक-बैंक के माध्यम से विद्यार्थियों को दिया जाएगा, जो विद्यार्थी पास-आऊट करके अगली कक्षा में प्रमोट हो जाएगा तो वह पिछली कक्षा की पुस्तकों को पुस्तकालय में जमा करवा देगा और अगली कक्षा की पुस्तकों को पुस्तकालय से इशू करवा लेगा। इस प्रकार हरियाणा के स्कूल शिक्षा विभाग को इस व्यवस्था पर एक बार ही ज्यादा खर्च करना पड़ेगा, बाद में प्रतिवर्ष मात्र 10 से 20 प्रतिशत ही खर्च होगा।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के इस निर्णय से जहां विद्यार्थियों के अभिभावकों पर आर्थिक बोझ कम होगा वहीं पुस्तकें बार-बार प्रयोग करने से पेड़ों की कटाई कम होगी और पर्यावरण के लिए यह व्यवस्था मददगार साबित होगी।
शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने यह भी बताया कि नूंह जिला को केंद्र सरकार द्वारा पहले ही एसपीरेशनल-डिस्ट्रीक्ट घोषित किया हुआ है, जिसके तहत बच्चों का ड्राप-आऊट रोकने के लिए नि:शुल्क पुस्तकों की व्यवस्था के लिए पहले ही 2 करोड़ रूपए की राशि जारी की जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के तहत बालिका-शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं। छात्राओं को उसके शैक्षणिक संस्थान तक परिवहन सुविधा, स्कूलों में अलग से शौचालय की व्यवस्था की गई है तथा उनमें नेतृत्व क्षमता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
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