नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए अब युद्ध स्तर पर प्रचार अभियान शुरू हो गया है। केजरीवाल के किले को ढहाने के लिए भाजपा अपने बड़े-बड़े बड़े नेताओं को मैदान में उतार रही है। सोशल मीडिया पर भी भाजपा केजरीवाल के कई ऐसे वीडियो पोस्ट कर रही है जिसमे वो कभी सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांग रहे हैं तो कभी पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। केजरीवाल का किला काफी मजबूत बताया जा रहा है लेकिन राजनीतिक किले की बात करें तो काफी मजबूत किले ढहाए जा चुके हैं। भाजपा कितना कामयाब होती है ये तो समय बताएगा।
भाजपा अपने कुछ हथियारों को कमजोर समझकर भूल कर रही है। पुराने अनुभवी नेता मैदान में नहीं दिख रहे हैं। हरियाणा दिल्ली से सटा है और लगभग दो दर्जन सीटों पर हरियाणा के भाजपा नेता दिल्ली के भाजपा उम्मीदवारों की नाव पार कर सकते हैं। हरियाणा में भाजपा के पुराने नेताओं की बात करें तो केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर जो फरीदाबाद के सांसद हैं और प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज जो 6 बार के विधायक हैं। इन नेताओं को दिल्ली के मैदान में नहीं देखा जा रहा है। भाजपा हाईकमान ने मुख्य्मंत्री को स्टार प्रचारक बनाया है जो दो बार के विधायक हैं। भाजपा हाईकमान जरा एक आइना देखे। आज सुबह हमने अपने हरियाणा के पाठकों से पूंछा कि हरियाणा में अच्छा नेता कौन है। खट्टर या गब्बर, लगभग एक घंटे पहले हमने ऑनलाइन पोल शुरू किया। वोटिंग जारी है। विज की छबि सीएम खट्टर से कई गुणा ज्यादा अच्छी है।
बताया जाता है कि विज रोज सुबह अब भी किसी चौराहे पर जाकर अपने क्षेत्र के लोगों के साथ चाय पीते हैं। उनका सुख-दुःख जानते हैं। शायद यही वजह है कि 6 बार विधायक बने और अब ग्रह मंत्री हैं और दबंग नेता भी मानें जाते हैं। नए नेताओं को उनसे कुछ सीखना चाहिए और कुछ नेता सीख भी रहे हैं वो भी छापेमारी करने लगे हैं। हरियाणा भाजपा के अन्य पुराने नेताओं की बात करें तो हाल के चुनावों में कई पुराने नेता चुनाव हार गए। ये सब बड़े-बड़े मंत्री बने थे लेकिन कामकाज करने में इन्होने कोताही की और जनता ने कुर्सी खींच लिया।
केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की बात करें तो गुर्जर लगभग ढाई दशक से राजनीति में सक्रीय हैं और पहले राज्य में मंत्री फिर दो बार से केंद्र में मंत्री हैं। चुनाव कैसे जीते जाते हैं वो इस मामले में निपुण हैं। हाल में हरियाणा विधानसभा चुनावों में उन्होंने फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में कई ऐसे नेताओं को भी चुनाव जितवा दिया जिनके बारे में लोग कहते थे कि ये चुनाव हार जाएंगे। गुर्जर अच्छे वक्ता भी हैं और ऐसा धारदार भाषण देते हैं जिससे सामने वाला विपक्षी उम्मीदवार घायल हो जाता है। अगर गुर्जर को दिल्ली की आधा दर्जन सीटें भी दे दी जाएँ तो कुछ नेताओं की नाव पार लगा सकते हैं लेकिन भाजपा हाईकमान अपने कुछ नेताओं की ताकत शायद नहीं जानता।
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