चंडीगढ़, 22 दिसम्बर- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि समाज और राष्ट्र के समुचित संवर्धन में शक्ति के साथ-साथ सेवाभाव होना अनिवार्य है। ताकत के साथ-साथ विनम्र भाव के साथ अधिक सेवा की जा सकती है। समाज को सेवा की नई दिशा और दशा देने के लिए अध्यात्मिक और सामाजिक मूल्य एक परिपक्व बुनियाद की तरह हैं। सेवा के भावों को अंगीकृत करते हुए समाज को अनुकरणीय दशा दी जा सकती है।
यह अध्यात्मिक अभिव्यक्ति उन्होंने जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी के पावन सानिध्य में प्रभु प्रेम पुरम आश्रम अम्बाला छावनी में श्री हनुमत अराधना महोत्सव के अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी अवधेशानंद गिरी द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रभु सेवा आश्रम में जो अध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है वह अध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से समाज का मार्गदर्शन करने वाला है।
उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति के दौरान कहा कि समाज में पुराने समय से ही अच्छाई और बुराई के बीच टकराव चलता आया है। टकराव में हमेशा ही अच्छाई की जीत हुई है। सेवा, सम्पर्ण भाव की अच्छी सीख देने वाले ऋषि मूनियों के संदेश हमेशा ही समाज का मार्गदर्शन करते रहे हैं। वर्तमान में भी बडे-बडे आश्रम और संस्थान है जो न केवल देश में बल्कि अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर भी समाज का मार्गदर्शन कर रहे हंै। इन्हीं मार्गदर्शनों के चलते समाज सेवा की नई परिभाषा लिखता है। जूनागढ़ पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी के आशीर्वाद से चल रही प्रभुप्रेमी संघ एक विशुद्ध अध्यात्मिक संस्था है जो आये दिन सेवा और सदभावना की समरसता के नये अध्यायों का सूत्रपात कर रही है। अन्न अकसर औषधी और अध्यात्मिक मूल्यों के प्रसार व विस्तार हेतू यह संस्था समाज के लोगों का मार्गदर्शन कर रही है। इस संस्था की व्यवस्था से हमें सामाजिक और अध्यात्मिक मूल्यों के निर्वाह की सीख लेने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हनुमान जी का भगवान राम के प्रति सेवा का बहुत बड़ा भाव था जिनके किस्से आज भी सुने, देखे और पढ़े जा सकते हैं। भगवान राम द्वारा दिये गये संदेशों की सीख और हनुमान जी के सेवाभाव हमारी ताकत को और मजबूत कर रहे हैं। हमें चाहिए कि उनसे सीख लेकर समाज और राष्ट्र के नवनिर्माण में अपना अहम योगदान दें। इस मौके पर उन्होंने स्वामी अवधेशानंद गिरी द्वारा समाजसेवा में किए जा रहे अध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हमें उनके द्वारा दिखाये गये सेवा और अध्यात्मवाद के रास्ते पर चलकर सभ्य समाज की संरचना में सहयोग करने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि राजा ताकतवर होता है लेकिन जिस राजा के पास सेवाभाव और विनम्रता हो वह प्रजा की अधिक सेवा कर सकता है। शासक के पास सेवा करने के लिए विनम्रता और सेवाभाव बहुत जरूरी है। इसी के चलते सेवा के नये अध्यायों का सूत्रपात करने में मदद मिलती है। समूचे प्रदेश में विनम्र भाव से सेवा और विकास के कार्य जारी हैं जोकि भविष्य में भी अनवरत रूप से जारी रहेंगे। इस मौके पर उन्होंने गृहमंत्री अनिल विज द्वारा प्रदेश के लिए किए जा रहे कार्यों की भी सराहना की तथा कहा कि सेवा और विकास के कार्यों का ताना-बाना प्रदेश के लोगों के सामाजिक और आर्थिक स्तर को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
इससे पूर्व हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल और स्वामी अवधेशानंद गिरी का अपने विधानसभा क्षेत्र में पहुंचने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों के जीवन को सरल बनाने के लिए अध्यात्मवाद की प्रेरणा और अनुकरणीय संदेश बहुत जरूरी हैं। इस दिशा में प्रभु प्रेम आश्रम अध्यात्मिक और सामाजिक संस्था बेहतरीन कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सभी शास्त्र भगवान की ओर ले जाने का काम करते हैं और उनसे निकले संदेश जीवन सुधार के लिए नई व्यवस्था देते हैं। इसलिए हमें धर्म यानि धारणा की नीति पर चलते हुए काम करने की जरूरत है। स्वामी जी की संस्था लंबे समय से समाजसेवा के कार्यों में लगी है। समाज में नैतिक मूल्यों के अवरोहों को रोकने और सामाजिक मूल्यों को आरोह करने के लिए अध्यात्मिक ताने-बाने के साथ आगे बढना चाहिए।
उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक सौहादर्य बनाये रखकर समाज का नवनिर्माण करना हमारी संस्कृति और सभ्यता में निहित है और यह हमारे ऋषि मूनियों और महात्माओं की देन भी है। उन्होंने यह भी कहा कि राजा महाराजाओं को हमेशा ही ऋषि मूनियों का आशीर्वाद प्राप्त था और वर्तमान में भी ऋषि मूनियों और संत महात्माओं का आशीर्वाद प्राप्त है जिसके चलते हम सभी समाजसेवा के कार्यों को और बेहतर ढंग से क्रियान्वित कर रहे हैं।
अपनी अभिव्यक्ति के दौरान उन्होंने कहा कि अम्बाला कुरूक्षेत्र की पावन धरा के अंदर आता है। गीता ज्ञान की जोत को आगे बढाने के लिए मुख्यमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गीता जयंती महोत्सव का आयोजन करवाया है। गीता जयंती महोत्सव में संतों का जमावड़ा और उनके प्रवचनों से निकले संदेश हमारी अध्यात्मिक संस्कृति को सहेजने और संजोए रखने का काम करते हैं। समाज के हर वर्ग को इससे प्रेरणादायक और अनुकरणीय सीख लेने की जरूरत है।
उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति में यह भी कहा कि गीता, गंगा और गाय हिन्दुस्तान की अध्यात्मिक, पौराणिक और संस्कृति की पहचान है। हम सब इनके महत्व को जानते हैं, इनका नाम जहन में आने से ही सेवा का जनून हिलोंरे मारने लगता है। अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर भी इन्हीं के कारण हमारी अलग पहचान बनी हुई है। उन्होने यह भी कहा कि स्वामी अवधेशानंद देश विदेशों में भ्रमण करते हैं। देश कलैण्डर के अनुसार अपने कार्यक्रमों का आयोजन करना एक बहुत बडी बात है। प्रभु प्रेम पुरम आश्रम की स्थापना से ज्ञान और अध्यात्मवाद के प्रचार से हमें सेवारूपी सहारा मिला है। जिसके चलते हम जनता की सेवा कर रहे हैं।
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