नई दिल्ली: अर्बन नक्सलियों की चले तो हाल की हिंसा के दौरान ड्यूटी कर रहे हजारों पुलिसकर्मियों को जेल की हवा खानी पड़े। ये लोग ट्विटर पर कई तरह के ट्वीट कर पुलिस पर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं लेकिन इनके संख्या कम है। देश के पुलिस के सपोर्टर ज्यादा हैं। दिल्ली हो या यूपी हर जगह लोग पुलिस के साथ खड़े हैं इसलिए इन नक्सलियों की बात कोई नहीं मान रहा है। पुलिस का साथ देने की बात करें तो एक अजीब पोस्ट वाइरल हुई है। मुरादाबाद का मामला है जब ड्यूटी पर लगे 3 पुलिसवाले जब खाना खाने एक रेस्टोरेंट में गए तो एक अनजान शख्स ने उनका पूरा पेमेंट कर दिया और चुपचाप चले गए। बाद में जब इस घटना के बारे में पुलिस ने फेसबुक पर पोस्ट किया तो पुलिस और जनता के संबंधों के कारण यह पोस्ट तेजी से वायरल हो गई। पोस्ट में क्या लिखा गया है पढ़ें।
नेकी का नाम नहीं होता
दिनांक: 21/12/2019
समय: लगभग 5 बजे
स्थान: पीली कोठी, सिविल लाइन्स (मुरादाबाद)।
'CAA' के प्रदर्शनों के बीच मुरादाबाद शहर की शान्ति व्यवस्था न भंग होने पाए, इसके लिए हम सभी पुलिसवाले सुबह से ही हर चौराहे पर मुस्तैद थे। सुबह से लगातार ड्यूटी करते करते धीरे-धीरे दिन ढलने लगा।शाम होते-होते मुझे और मेरे साथियों को थोड़ी सी भूँख भी लग आई थी तो मैं सुशील सिंह राठौर और मेरे दो साथी (SI गौरव शुक्ल व SI विजय पाण्डेय) ड्यूटी प्वाइंट के सामने एक रेस्टोरेंट में गए और भूख के हिसाब के थोड़ा हल्का फुल्का खाना ऑर्डर कर दिया।
वही हमारे पास की टेबल पर एक फैमिली भी बैठी हुई थी। हमारा आर्डर किया हुआ खाना आया और मैं अपने साथियों के साथ खाने लगा। इसी बीच हमारे बगल वाली टेबल पर बैठी हुई फैमिली अपना खाना ख़त्म करके बिल देकर चली गई और हमलोगों ने उनपर ध्यान भी नहीं दिया और न ही उनसे कोई हाय-हेलो हुई।
हमलोगों ने अपना खाना फिनिश किया और वेटर से बिल लाने को कहा। वेटर जब बिल लेने गया तो उधर से उसके साथ रेस्टोरेंट का मैनेजर खुद चलकर आया और हमलोगों से बोला -- "सर! आपका बिल पेमेंट कर दिया गया है।" ये सुनकर हमलोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ, हमने बोला- "भाई अभी हमलोगों ने पेमेंट किया ही नहीं है तो कैसे हो गया!!?" साथ के मित्र गौरव शुक्ल और विजय पांडेय ने नाराजगी मिश्रित भाव से मैनेजर से बोला-"ऐसा कैसे? कोई भी अनजान हमारा पेमेंट देकर चला गया आपको हमसे तो पूँछना चाहिए था।"
तो मैनेजर बोला- "सर! आपके पास में जो फैमिली बैठी थी उन्होंने आपका बिल पेमेंट कर दिया है, और साथ में आपके लिए एक मैसेज छोड़ा है कि जब ये लोग हमारी सुरक्षा के लिए अपना घर परिवार छोड़ कर दिन-रात हमारे लिए खड़े रहते हैं तो इनके प्रति भी हमारा कुछ कर्तव्य बनता है।
" ये सुनकर पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए और मन मे अजीब सी भावनाएं हिलोर मारने लगीं।
यार! किसी अजनबी से आज पहली बार इतना सम्मान मिला। हमलोग तुरंत भाग कर रेस्टोरेंट के बाहर आए की शायद वो फैमिली हमें मिल जाए और हम उनके इस प्रेम के लिए धन्यवाद दे सकें, पर अफसोस! वो फैमिली जा चुकी थी और उनसे हम मिल भी न सके!
पुलिस के प्रति जनता के इसी विश्वास और प्रेम की वजह से हम पुलिसवाले पूस की सर्द रातों में, जेठ की तपती दोपहरी में और मूसलाधार बारिश में भी उनकी सुरक्षा में अपना सब कुछ छोड़कर सदैव तत्पर रहते हैं।
उस फैमिली से तो नहीं मिल पाए पर जब हमलोग अपनी फोटो ले रहे थे तो उस परिवार के एक सदस्य की भी फोटो उसमें आ गई थी, जो नीचे अपलोड की है।
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