गुरुग्राम। नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 को लेकर हो रहे कोलाहल पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रमन मलिक ने कहा कि मीडिया के माध्यम से विभिन्न विषयों पर इस अधिनियम पर फैलाई जा रही भ्रांतियों दूर करने का प्रयास करते हैं।
सबसे पहला सवाल उठता है कि क्या भारत के मुसलमानों को इस नागरिकता संशोधन नियम से या एनआरसी से चिंता का विषय है? इस अधिनियम को पढ़ने के बाद और एनआरसी की नियमावली को समझने के बाद मेरा यह स्पष्ट मानना है कि इन दोनों विषयों से भारत के वह नागरिक जो इस्लाम का अनुशरण करते हैं उनको कोई खतरा नहीं है उनकी नागरिकता उतनी ही सुरक्षित है जितने की इस देश का संविधान।
दूसरा बड़ा सवाल जो भ्रम फैलाने के लिए अपनाया जा रहा है कि एनआरसी धर्म के आधार पर किया जाएगा? नहीं एनआरसी कतई भी धर्म के आधार पर नहीं है। एनआरसी जिस भी समय लागू होगा वह धर्म के आधार पर नहीं हो सकता क्योंकि भारत का संविधान यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी भारतीय धर्म जात रंग लिंग के बिना पर उसके साथ पक्षपात नहीं हो सकता। नागरिकता किस तरीके से सुनिश्चित करी जाएगी, क्या यह सरकार के हाथ में रहेगी? इस देश का संविधान इस विषय में बड़ा स्पष्ट है और इसके कई कानूनों के अंतर्गत फैसले लिए जाएंगे। नागरिकता नागरिकता नियम-2009 जो कि नागरिकता अधिनियम 1955 के अधीन बनाया गया है।
जब एनआरसी लागू होगा तो क्या सभी को अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए अपने माता-पिता के जन्म का विवरण देना होगा?
आपके जन्म का विवरण जैसे महीने और साल और जन्म का स्थान यदि उपलब्ध नहीं है तो आप जन्म माता-पिता का विवरण प्रदान कर सकते हैं, लेकिन अनिवार्य रूप से जमा करने के लिए किसी भी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। जन्म की तारीख और स्थान से संबंधित कोई भी दस्तावेज जमा करके नागरिकता साबित की जा सकती है। स्वीकार्य दस्तावेज का विस्तार अभी तक तय नहीं किया गया है। सबसे अधिक संभावना मतदाता कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, भूमि या घर के कागजात या सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए अन्य दस्तावेज हो सकते हैं।
इस दस्तावेज़ की सूची बहुत लंबी होने की संभावना है, ताकि किसी भी भारतीय नागरिक को किसी भी अनुचित उत्पीड़न में न रखा जाए।
जब एनआरसी कार्यान्वित किया जाता है तो क्या नागरिक को 1971 से पहले का इतिहास साबित करना होगा?
नहीं, आपको अपने पूर्वजों का कोई भी दस्तावेज जैसे कि जन्म प्रमाण पत्र या आईडी कार्ड पेश नहीं करना पड़ेगा जोकि 1971 से पहले का हो। इस तरीके के दस्तावेज सिर्फ आसान केएनआरसी में सुनिश्चित से जो कि आसान अकॉर्ड को लागू कराने की सुप्रीम कोर्ट की डायरेक्शन के अंतर्गत किया गया था। देश के बाकी हिस्सों में एनआरसी प्रक्रिया पूरी तरह से अलग है जैसा कि नागरिकों के नागरिकता पंजीकरण के तहत प्रदान किया गया है और राष्ट्रीय पहचान पत्र नियम 2003 के नियमों के अंतर्गत् होगा।
क्या होगा अगर कोई व्यक्ति अनपढ़ है और उसके पास प्रासंगिक दस्तावेज नहीं है?
इस मामले में अधिकारी उसे गवाह लाने की अनुमति देंगे, विभिन्न अन्य प्रमाण, सामुदायिक सत्यापन। सभी नियत प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा। किसी भी भारतीय नागरिक को अनुचित परेशानी में नहीं डाला जाएगा।
इन चंद सवाल हर सामान्य भारतीय नागरिक के मन में उठते होंगे, जिनका मैंने जवाब देने की कोशिश करी है, लेकिन इस विषय को यूं ही छोड़ देना गलत होगा। कुछ लोग जो भारतीय मूल के नहीं हैं और जिन्होंने भारत में राजनीति करते हुए भारत को विकसित नहीं होने दिया भारत के एके को बार-बार क्षति पहुंचाते रहे, ऐसे लोग आज अपनी राजनीतिक पहचान खत्म होने की कगार को देखते हुए विचलित हो उठे हैं और वह देश में उन्माद और हिंसा फैला रहे हैं।
लोगों को इकट्ठा करके उनके मन में भय का वातावरण उत्पन्न कर उनको सड़कों पर लाकर उनसे देश की संपत्ति को हानि पहुंचाने का काम करवा रहे हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के अंदर भारत के सामने खड़े हुए ऐसे सभी मुद्दे जो कि भारत की स्वतंत्रता के बाद से बड़े प्रश्न चिन्ह बने हुए थे उन सभी को सुलझाने का काम किया है। हमने देश के सर पर पड़ी हुई, इस भूतकाल की गठरी को उठाकर फेंकने का काम करा है, यह देश प्रगति की ओर ध्यान दे सकें विकास की ओर अग्रसर हो सके।
अमेरिका कनाडा ऑस्ट्रेलिया यह सारे ऐसे देश हैं जो अपने देश की नागरिकता या तो आपकी कार्यकुशलता और या आपको के आर्थिक आधार पर देते हैं कोई भी देश अपनी देश की नागरिकता किसी ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों को नहीं देता जो कि आर्थिक रूप से सक्षम ना हो या उनके पास कोई ऐसा कौशल ना हो जिसकी आवश्यकता उस देश को या उस देश के समाज को ना हो।
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