नई दिल्ली- रेप केस में रेपिस्ट को अंतिम बार 2004 में फांसी पर लटकाया गया था। उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी। मनमोहन सिंह पीएम थे और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति थे। नाबालिग छात्रा से रेप और मर्डर केस में धनंजय चटर्जी को 14 अगस्त 2004 को फांसी पर लटकाया गया था। राष्ट्रपति के सामने धन्नजय के परिजनों फांसी की सजा में छूट की गुहार लगाईं थी लेकिन राष्ट्रपति ने उस मांग को ठुकरा दिया था। उसके बाद देश में लगभग चार लाख से अधिक रेप के मामले सामने आये लेकिन किसी भी आरोपी को फांसी की सजा नहीं मिली। 2012 में दामिनी केस के बाद देश के लोग सड़क पर उतरे लेकिन निर्भया के दरिंदों को अब तक सजा नहीं मिली। अब हैदराबाद गैंगरेप केस के दरिंदों को फांसी की सजा की मांग की जा रही है और अब भी रोजाना कहीं न कहीं प्रदर्शन हो रहा है। लोगों की मांग है कि कम से कम एक रेपिस्ट हर महीने फांसी पर लटकाया जाए तब जाकर दरिंदों में डर पैदा होगा।
दिल्ली के निर्भया केस में अब सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ जल्द कोई बड़ा फैसला आ सकता है लेकिन फैसला इसलिए रोका गया है क्यू कि तिहाड़ जेल में कोई जल्लाद नहीं है। उत्तर प्रदेश के कुछ गांवों में जल्लाद खोजे जा रहे हैं जहाँ पहले कुछ जल्लाद रहते थे। बताया जा रहा है कि एक महीने के अंदर फैसला आ सकता है और उसके बाद ब्लैक वारंट जारी कर दिया जाएगा।
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