नई दिल्ली: पूरी दुनिया आज 11 दिसंबर को International Mountain Day मना रही है। पूरी दुनिया के पर्वतारोहियों वैज्ञानिकों के लिए अब भी कैलाश पर्वत एक बड़ा रहस्य बना हुआ है। एवरेस्ट से काफी कम ऊंचे कैलाश पर्वत पर आज तक एक भी पर्वतारोही नहीं चढ़ सका है। 8848 मीटर फीट से ऊंचे माउंट एवरेस्ट को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं। जबकि कैलाश पर्वत की ऊंचाई एवरेस्ट से करीब 2200 मीटर कम यानी 6638 मीटर है लेकिन भी पर्वतारोही अब तक कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ सका है। कई जाने मानें विदेशी पर्वतारोही कैलाश पर चढ़ने का प्रयास कर चुके हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली और वापस आ गए और उन्होंने बताया कि उन्हें लगता है कि कोई बड़ा चमत्कार होता है।
हिमालय के उत्तरी क्षेत्र में स्थित कैलाश चीन में आता है और यह से चार बड़ी नदियों का उदय होता है, घाघरा, सतलज, ब्रम्हपुत्र और सिंधु नदी यहीं से निकलती हैं और देश के चारों दिशाओं की तरफ बढ़ती हैं। कहा जाता है कि वक्त यहीं से शुरू होता है और इसे धरती का केंद्र बिंदु माना जाता है और यहाँ दिशा सूचक कोई काम नहीं करता। यहाँ समय तेजी से बीतता है और यहाँ जाने वाले पर्वतारोहियों के मुताबिक़ यहाँ नाखून काफी तेजी से बढ़ते हैं। नासा भी कई पर इस पर सर्च कर चुका है लेकिन नासा के वैज्ञानिक फेल हो चुके हैं। कैलाश पर्वत और कैलाश क्षेत्र पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने रिसर्च की है।
इस पर रिसर्च करने वाले ह्यूरतलीज ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने को असंभव बताया है। कैलाश पर्वत पर चढ़ने की आखिरी कोशिश करीब 18 साल पहले साल 2001 में की गई थी। जब चीन ने स्पेन की एक टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी थी। इसके बाद इस पर्वत पर चढ़ाई करने की रोक लगा दी गई थी। पर्वत पर चढ़ने का प्रयास करने वाले सभी पर्वतारोहियों का कहना था कि यहाँ दिशा भ्रमित हो जाती है। अचानक रास्ते बदल जाते हैं। दिल की धड़कनें बंद होने लगती हैं। अब इस पर्वत का रहस्य एक रहस्य ही है। भारत के लोग कैलाश पर्वत को भगवान् शिव का निवास स्थान मानते हैं और हर साल हजारों लोग यहाँ दर्शन करने पहुँचते हैं। कहा जाता है कि जाता है कि कैलाश पर्वत एक तरफ स्फटिक, दूसरी तरफ माणिक, तीसरी तरफ सोना और चौथी तरफ नीलम से बना हुआ है। पर्वत पर अजीब चमक देखी जा सकती है।
Post A Comment:
0 comments: