चंडीगढ़: देश में शिक्षा दिन प्रतिदिन बाजारू होती चली जा रही है लेकिन सरकारें आँख बंद कर बैठी हैं। अधिकतर निजी स्कूलों में नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी ने नाम से खुली लूट हो रही है। पहले छात्र सीधा पहली कक्षा में दाखिला लेते थे लेकिन अब तीन साल तक अविभावकों को लूटा जाता है फिर छात्र पहली कक्षा में पहुँचते हैं। नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी के दौरान छात्रों को एबीसीडी और क, ख ,ग ही सिखाया जाता है लेकिन लाखों ले लिए जाते हैं जबकि पहले छात्र के परिजन अपने बच्चों को ये सब दो दिन में भी सिखा देते थे।
हरियाणा के 8500 मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर सरकार का डंडा चल गया है। इनमें अब नर्सरी से यूकेजी तक कक्षाएं नहीं चलेंगी। ये स्कूल लंबे समय से अवैध रूप से नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी की कक्षाएं चला रहे थे। ये एक तरह की लूट थी और सरेआम अविभावकों को लूटा जा रहा था।
अभिभावकों से मनमाने तरीके से मोटी फीस वसूलकर स्कूल संचालकों ने खूब कमाई की है। अब मौलिक शिक्षा निदेशालय ने इन स्कूलों पर शिकंजा कसते हुए अवैध कक्षाएं चलाने पर रोक लगा दी है। यह फैसला शिकायत के आधार पर लिया गया है। निदेशक मौलिक शिक्षा प्रदीप कुमार-प्रथम की ओर से इस संबंध में सभी डीईईओ और निदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश जारी कर दिए हैं।
हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमावली के अनुसार किसी भी मान्यता प्राप्त निजी स्कूल में केवल पहली से बारहवीं तक ही कक्षाओं का संचालन किया जा सकता है। नर्सरी, एलकेजी व यूकेजी की कक्षाएं लगाने का प्रावधान नहीं है। बृजपाल परमार ने अवैध रूप से चलाई जा रही कक्षाओं को बंद कराने का आग्रह किया था। जल्दी कार्रवाई न होने पर परमार ने मौलिक शिक्षा निदेशालय में बीते 22 अक्टूबर को आरटीआई लगाकर जानकारी मांगी थी। इसके बाद मौलिक शिक्षा निदेशालय हरकत में आया।
Post A Comment:
0 comments: