फरीदाबाद: सोशल मीडिया का जमाना है और हम आप सोशल मीडिया पर जो लिख रहे हैं, जो तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं उसे कोई संभाल कर भी रख सकता है। प्रदेश में एक समय हरियाणा के मुख्य्मंत्री मनोहर लाल के खिलाफ कई भाजपा विधायकों ने बगावत का रुख अपना लिया था। ठीक उसी समय प्रदेश के उद्योगमंत्री विपुल गोयल को उनके समर्थक भावी सीएम बताने लगे। सोशल मीडिया पर उन्हें भावी सीएम लिखकर पोस्ट करने लगे जिसका स्क्रीन शॉट सीएम तक पहुँचने लगा। पूरा डेटा एकत्रित किया जा रहा था जिसकी भनक विपुल गोयल को नहीं लगी। इसी साल लोकसभा चुनावों में टिकट वितरण से पहले फरीदाबाद में कई बैनर लगे जिसमे लिखा गया कि मोदी जी से बैर नहीं, कृष्णपाल की खैर नहीं। ये पोस्टर कौन लगवा रहा था और कौन इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है। इसका भी डेटा एकत्रित किया जाने लगा था।
सभी देता एकत्रित करने के बाद सीएम खट्टर और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने वो किया जो विपुल गोयल और उन्हें समर्थकों ने सपने में भी नहीं सोंचा था। अचानक विपुल गोयल की टिकट काट दी गई। उनके समर्थकों को अब भी भरोषा नहीं हो रहा है कि अचानक ये सब कैसे हो गया। उनके कई समर्थक दहाड़ें मार रोये।
विपुल गोयल की बात करें तो वो किसी समय में केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के सबसे जिगरी दोस्त थे। दोनों दोस्तों में अति निकटता देख गुर्जर के विरोधियों ने बड़ी चाल चलना शुरू कर दिया। विपुल जब प्रदेश के उद्योग मंत्री बने तो उन्हें हवा में उड़ाना शुरू कर दिया। अवतार भड़ाना जैसे गुर्जर के विरोधी नेताओं ने विपुल को हवा में उडाकर उन्हें आसमान पर कुछ इस तरह से बैठाया कि विपुल धड़ाम से आसमान से जमीन पर आ गिरे। विपुल के मंच से अवतार भड़ाना ने कई बार गुर्जर और उनके मामा को घेरा। गुर्जर को भी ये बात अच्छी नहीं लगी और 2018 के दशहरे पर एनआईटी के दशहरा मैदान में जो कुछ हुआ उसके बाद कृष्णपाल गुर्जर ने शायद सोंच लिया था कि अब हम कुछ अलग करेंगे।
कई ऐसी बातें हैं जिस वजह से विपुल गोयल की टिकट कटी। शहर की 2019 की ये सबसे बड़ी राजनैतिक घटना है। विपुल गोयल पुराने राजनीतिज्ञों का मोहरा बने अपने अपने जिगरी दोस्त से दूरी बनाते गए और उनके चक्कर में आकर अब राजनीति से कोसों दूर हो गए। यही नहीं उन्हें मोहरा बनाने वाले भी कामयाब नहीं हो सके और लोकसभा चुनावों में गुर्जर ने उन्हें धोबिया पछाड़ मारा और वो कहीं के नहीं रहे। जो बचे थे उन्हें विधानसभा चुनावों में सबक सिखाया। हरियाणा अब तक का यही कहना है कि अगर आपका कोई जिगरी दोस्त है तो आप किसी और के बहकावे में आने से पहले हजार बार सोंचें। बहकाने वाला कौन है? उसका इतिहास क्या है?
विपुल गोयल को जमीन पर गिराने में कुछ ऐसे लोगों का भी हाथ है जो सोशल मीडिया पर उन्हें भावी सीएम बताते थे और एंटी खट्टर और एंटी गुर्जर पोस्ट करते थे। ऐसे लोग सोशल मीडिया से अनजान थे, नए-नए सोशल मीडिया से जुड़े थे। उन्हें नहीं पता था कि उनकी पोस्टों के डेटा एकत्रित किये जा रहे हैं। विपुल के लिए ऐसे लोग काफी घातक साबित हुए।
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