नई दिल्ली: एक दशक की बात करें तो इस दौरान देश में जघन्य अपराधों के कई बड़े मामले सामने आये। तमाम मासूम बच्चियों संग दरिंदगी हुई तो निर्भया जैसे कई केस सामने आये लेकिन अदालत में सिर्फ तारिख पर तारीख ही मिल रही है। किसी भी दरिंदे को उचित सजा नहीं मिली। कल हैदराबाद पुलिस ने चार दरिंदों को ठोंक दिया जिसके बाद देश के लोग खुश दिखे। देश के लोगों की खुशी का प्रमुख कारण ये है कि उनका अदालत पर से भरोषा उठ चुका है जहाँ तारीख पर तारीख ही मिलती रहती है और दरिंदगी के मामले बढ़ते चले जा रहे हैं। महिला डाक्टर से गैंगरेप फिर उसे जलाने वाले दरिंदों को कल एनकाउंटर में ढेर किया गया और देश के लोगों तक जैसे ही ये खबर पहुँची लोग लोग हो गए।
निर्भया केस के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया। 2013 में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपियों को दोषी पाया और फांसी की सजा सुनाई। सजा के खिलाफ दोषी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए, जिसके चलते 2014 में इन्हें फांसी नहीं हुई। फिर मामला अटका रहा। अब 2018 में इनकी रिव्यू याचिका खारिज की गई। फिलहाल फांसी पर कोई फैसला इसलिए नहीं हुआ क्योंकि एक दोषी (विनय शर्मा) ने दया याचिका दायर की हुई है। फिलहाल इसपर कोई फैसला नहीं हुआ है। अब भी दरिंदे जेल में हैं। 6 दरिंदों में से एक ने जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि एक नाबालिग था।
देश में निर्भया केस के बाद कई बड़े मामले सामने आये। कई मासूम बच्चियों को दरिंदों ने हवस का शिकार बनाया लोग सड़कों पर उतरे लेकिन मामला अदालत में पहुँचने के बाद सिर्फ तारीख पर तारीख ही मिल रही है और वारदातें जारी हैं। दरिंदों के हौसले बुलंद हैं लेकिन कल थोड़ा सुकून मिला जब चार दरिंदे उड़ाए गए। कल रात्रि उन्नाव की पीड़िता ने दम तोड़ दिया। अब मांग की जा रही है कि यूपी पुलिस भी हैदराबाद पुलिस की तरह ही कोई कदम उठाये वरना मिलती रहेगी तारीख पर तारिख देश के करोड़ों रूपये बर्बाद होते रहेंगे। वैसे तो पुलिस का काम है अपराधियों को पकड़ना और अदालत में उन्हें सजा मिलती है लेकिन जब कहीं कोई वारदात होती है तो सवाल पुलिस पर उठाये जाते हैं अदालत पर नहीं इसलिए पुलिस पर काफी दबाव रहता है कि वो कुछ अलग करे। शायद यही वजह है कि साइबराबाद के पुलिस कमिश्नर वीसी सज्ज्नार कुछ अलग ही करते हैं।
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