नई दिल्ली: एक साल पहले देश के कई राज्यों में भगवा लहरा रहा था लेकिन अब ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में टार्च लेकर ढूंढने पर भी कई राज्यों में भगवा नहीं दिखेगा। आज झारखंड चुनावों के परिणाम आ रहे हैं और वहां झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। झारखण्ड भी भाजपा के हाथ से गया। खुद सीएम रघुवर दस् जमशेदपुर पूर्वी सीट से बीजेपी के बागी नेता सरयू राय से करीब 11 हजार वोटों से पीछे हो चुके हैं। हो सकता है सीएम दास खुद भी चुनाव हार जाएँ। झारखण्ड में हार का कारण खुद सीएम दास ही हैं। देश के बड़े सट्टेबाजों की मानें तो रघुवर दास की छबि खराब थी। लोग उन्हें गंजेड़ी कहते थे लेकिन दिल्ली के भाजपा नेता उन्हें समझ नहीं सके।
एक साल में पांच गंवा देने वाली भाजपा के अंदर तमाम कमियां हैं जैसे कि अहंकार,आत्ममुग्धता, असंवेदनशलीता, अफसरशाही, अराजकता,अतिवाद, और मुद्दों से भटकाव जनता को अस्वीकार है। राजस्थान से लेकर झारखंड तक राज्यों के चुनाव में, सन्देश साफ़ है, जो इसे समझ लेगा वो राज करेगा, वरना हर रघुबर, बैठेगा। हरियाणा में खट्टर भी रघुवर, वसुंधरा की तरह घर बैठ जाते लेकिन भाजपा ने मिशन 75 का ऐसा हव्वा बनाया कि विपक्षी डर गए और दर्जनों विपक्षी डर के मारे भाजपा में घुस गए। ऐसे नेता भाजपा में घुस गए जो अगर अपनी पार्टियों में रहते और चुनाव लड़ते तो जीत सकते थे।
एक साल में बीजेपी के हाथ से ये पांचवा राज्य गया है इसके लिए कुछ हद तक आलाकमान भी जिम्मेदार है चुनाव के वक्त कार्यकर्त्ता और पुराने नेता खूब मेहनत करते है लेकिन बीजेपी जीतने के बाद अपने कार्यकर्ताओ और पुराने नेताओं को भूल जाती है और हवा हवाई नेता के साथ उड़ने लगती है। एक विधानसभा क्षेत्र में चार-या पांच मंडल अध्यक्ष होते हैं और ये अपनी पार्टी की जीत में अहम् भूमिका अदा करते हैं। इन्हे दुःख तब होता है कि इनके विधानसभा क्षेत्र से जो विधायक बनता है वो पांच साल में 10 से 50 करोड़ तक कमा लेता है। कई-कई फ़ार्म हॉउस खरीद लेता है। आलीशान आफिस बना लेता है और एक नहीं कई-कई आफिस जबकि मंडल अध्यक्ष बेचारे पूरे पांच साल झुनझुना बजाते रहते हैं। चौकी थानों में भी उनकी नहीं चलती। ऐसे में वो अगली बार अपने विधायक को झुनझुना बजाने भेजने का सपना देखने लगते हैं और भेज भी देते हैं।
साल 2014 में बीजेपी की जिन राज्यों की सरकारों में सहभागिता थी, उसमें गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, अरुणाचल प्रदेश आदि थे। इसके बाद भाजपा की जीत का ग्राफ लगातार बढ़ता गया। जिन राज्यों में बीजेपी की सत्ता थी, उसमें उत्तर प्रदेश, मिजोरम आदि जैसे राज्य भी शामिल थे। हालांकि, इसके बाद बीजेपी का ग्राफ गिरा और पार्टी ने एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ गंवाया और फिर आंध्र प्रदेश में टीडीपी से अलग हुए। वहीं, जम्मू कश्मीर में भी पार्टी ने पीडीपी से समर्थन वापस लेते हुए सत्ता गंवा दी।
वर्तमान समय में बीजेपी जिन जिन राज्यों में सरकार में है, वे राज्य बिहार, असम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश हैं। इसके अलावा कर्नाटक में बीजेपी ने हाल ही में सरकार बनाई है। वहीं, मणिपुर, मेघायल, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में भी बीजेपी की सरकार है।
अब जल्द दिल्ली में चुनाव होने जा रहे हैं वहां भाजपा के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। यहाँ भाजपा को कुछ फायदा मिल सकता है लेकिन सट्टा बाजार फिर यहाँ केजरीवाल की सरकार बनते दिखा रहा है।
अब भाजपा के पास सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है। दो साल बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हैं। यहाँ भ्रष्टाचार का बोलबाला है। यहाँ भी अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं। खूब खा रहे हैं। हाल में हमने उत्तर प्रदेश के लगभग एक दर्जन जिलों का दौरा किया था और देखा कि जिनके पास एक बीघा भी जमीन है वो इस भयानक सर्दी में रात्रि में अपने घर नहीं अपने खेतों में सोते हैं। डर रहता है कि किसी भी समय आवारा पशुओं का गिरोह उनके खेतों में आ सकता है और सारी फसल खराब कर सकता है।
आवारा पशुओं की बात करें तो प्रदेश के हर ग्राम सभा क्षेत्र में योगी सरकार ने 10 लाख रूपये तक गौशाला बनाने के लिए भेजे ताकि आवारा पशुओं को वहां रखा जाए लेकिन ये पैसे लेखपाल, पटवारी, ग्राम प्रधान डकार गए। स्थानीय भाजपा नेता या भाजपा कार्यकर्ता गाली पा रहे हैं क्यू कि आवारा पशुओं का आतंक है और योगी सर्कार पैसे भी दे रही है और अधिकारी इन पैसों को डकार जा रहे हैं और भाजपा कार्यकर्ता आवाज उठाते हैं तो भ्रष्ट अधिकारी या ग्राम प्रधान भाजपा कार्यकर्ताओं पर ही आरोप लगाने लगते हैं।
2014 में जब केंद्र में मोदी सर्कार आई तो कहा जाने लगा कि 20 साल से ज्यादा देश पर भाजपा का राज लगातार रहेगा। जिस तरह भाजपा से कई राज्य छिन गए उससे केंद्र सर्कार भी डगमगाने लगी है। केंद्र में फिर भाजपा की सरकार बन सकती है क्यू कि कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है और 370, तीन तलाक, नागरिकता कानून, राम मंदिर जैसे मुद्दों पर अच्छा काम कर मोदी की तारीफ हो रही है। कई राज्यों के लोग अपने स्थानीय नेताओं के कामकाज से दुखी हैं। वो कहते हैं कि केंद्र में फिर मोदी लेकिन राज्य में वो अपनी मर्जी का करेंगे।
राज्यों में टिकट वितरण में भाजपा हाईकमान फेल हो रहा है। पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। घुसपैठियों और मालदारों को टिकट में प्राथमिकता दी जा रही है जिस कारण भाजपा राज्यों में हारती जा रही है। घुसपैठियों का मतलब अन्य पार्टियों से आये नेता। राज्यों में भाजपा किसी और से ज्यादा अपने कार्यकर्ताओं से अन्याय कर रही है इसलिए टपक रही है। एक समय ऐसा था जब कई राज्यों में लोग भाजपा कार्यकर्ताओं पर हँसते थे लेकिन उन राज्यों में उन्ही कार्यकर्ताओं की मेहनत से सरकार बनी तो विधायक मंत्री बनने वाले नेता अपने कार्यकर्ताओं पर हंसने लगे। फिर कार्यकर्ताओं ने ऐसे नेताओं का घमंड चकनाचूर कर दिया। कई और कारण हैं। आगे आइना दिखाता रहूंगा।
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