आंदोलन के हिंसक रूप से स्पष्ट हो जाता है कि माओवादी शक्तियाँ तथा घुसपैठियों द्वारा देशभर के विश्वविद्यालय में छात्रों को भड़काकर हिंसा फैलाने का काम कर रही हैं, अभाविप इसका कड़ा विरोध करती है। साथ ही देश के कुछ शिक्षण संस्थानों के विश्वविद्यालय आंदोलन के नाम पर तोड़फोड़ तथा छात्रों को परीक्षा देने से रोकना आदि घटनायें निंदनीय हैं। छात्र नेता पुनित चौधरी ने कहा कि घुसपैठियों ने तो अपना मकसद पूरा करने में पुरजोर लगाया है परंतु कुछ राजनैतिक दलों द्वारा हिंसा का समर्थन कर दंगे भड़काने की कोई कसर नही छोड़ रहे जो की चिंता का विषय बना हुआ है। छात्र नेत्री प्रिति नागर ने बताया कि देश में महजब के नाम पर हो रही हिंसाएं घटनाये विभाजन की और ले जा रही है देश की एकता पर चोट कर रही हैं उन्होंने यह भी बताया कि यह भारत भूमि जितनी महात्मा गांधी और वीर सावरकर की है उतना की हक़ इस भूमि पर राम प्रसाद बिस्मिल ,अशफाक उल्लाह खान जैसे क्रांतिकारियों की भी है।
नगर मिडिया प्रमुख रवि पाण्डेय इस कानून के लागू करने के तहत भारत अपनी परम्परा को निभा रहा है और पाकिस्तान अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश के सताय हुए लोगो को शरण देकर 31 दिसम्बर 2014 से पहले आने वाले हिन्दू बौद्ध सिख जैन पारसी एवं ईसाईयों को नागरिकता प्रदान की जानी है साथ ही विद्यार्थी परिषद् छात्र समुदाय से आग्रह किया है कि सर्वप्रथम छात्र छात्राएं संसोधन कानून को पढ़े और उसके बाद ही निर्णय ले न की वह किसी बहकावे में आएं तथा ऐसे सभी लोग जो हिंसा के लिए उकसा रहे हैं उनके विरुद्ध एकजुट होकर खड़े हों।इस अवसर पर मुख्य रूप से राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष माधव रावत,नविन सैनी, नवजोत राजपूत, कंचन डागर, उर्वशी, दीपाली, गायत्री, बविता, हेमन्त राजपूत, छविल शर्मा, सुरज प्रधान, सुभम शर्मा, प्रेसिडेंट गोरव टोंगर, वाईस प्रेजिडेंट सागर टोंगर, गोतम भड़ाना, ओम सिंह, संचित, चंदन झा, प्रिस, समेत अनेक अभाविप कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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