चंडीगढ़, 22 नवंबर- हरियाणा की फिल्म पॉलिसी, बालीवुड के बड़े फिल्म निर्माताओं के साथ -साथ देश के विभिन्न रीजनल सिनेमा से जुड़े लोगों में भी विशेष चर्चा का विषय बनी हुई है। यह आज गोवा में चल रहे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आई एफ एफ आई)में दूसरे दिन भी देखने को मिला।
फिल्म बाजार में पहली बार भागीदारी कर रहे हरियाणा के प्रतिनिधियों ने आज फिल्म शूटिंग को लेकर सिंगल विंडो सिस्टम पर अंतरराष्ट्रीय व विभिन्न प्रदेशों से पहुंचे प्रतिनिधियों के साथ पॉलिसी व शूटिंग अनुमति के दौरान आने वाली समस्याओं पर मंथन किया ताकि इसे और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। इस अवसर पर हरियाणा की फिल्म पॉलिसी की मुख्य विशेषताओं को अन्य राज्यों की एसोसिएशन ऑफ फिल्म कमिश्नर्स इंटरनेशनल की प्रेसिडेंट जैसा कंपोलिया के साथ सांझा किया गया।
यह कहना उचित होगा कि फिल्मों के सफर का दायरा पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है, छोटे गांव और शहर भी अब फिल्मों की शूटिंग के लिहाज से बड़े फिल्म डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहे हैं। इस लिहाज से जरूरी है कि फिल्मों कि शूटिंग के लिए प्रभावी सिंगल विंडो सिस्टम प्रणाली को सुदृढ़ किया जाए। हरियाणा सहित अनेक राज्यों की ओर से इस दिशा में कदम बढ़ाएं गए हैं जो प्रशंसनीय है। फिल्म बाजार में बड़े फिल्म मेकर के साथ रीजनल सिनेमा से जुड़े लोग भी बड़ी संख्या में हरियाणवी संस्कृति को लेकर फिल्म बनाने तथा शूटिंग पर हरियाणा की फिल्म पॉलिसी में रुचि दिखा रहे हैं।
इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सयुक्त सचिव एवम् एनएफडीसी की प्रबंध निदेशक टीसीए कल्याणी ने भी इस बात पर ज़ोर दिया की फिल्म शूटिंग की अनुमति के मामले में राज्यों व एनएफडीसी के अधिकारियों ने परस्पर तालमेल हो। फिल्म बाज़ार में स्थापित किए गए हरियाणा के कार्यालय में भी फिल्म मेकर हरियाणा की माटी में फिल्म निर्माण की संभावना की जानकारी जुटा रहे हैं। रीजनल फिल्मी दुनिया में महारत हासिल किए फिल्मी जगत के लोग भी हरियाणा के फिल्म उद्योग में खूब जानकारी ले रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सिंगल विंडो सिस्टम पर फिल्म शूटिंग की परमिशन एवं हरियाणवी तथा गैर हरियाणवी फिल्मों के लिए इंसेंटिव के प्रावधान से पहली बार में ही फेस्टिवल में हरियाणा की खास पहचान नजर आ रही है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पेशन के तत्वावधान में आयोजित वर्कशॉप के दूसरे दिन भी मुख्य फोकस फिल्मों के सुविधाकरण पर केन्द्रित रहा।
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