4 नवम्बर 2019 : हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा, दिल्ली, एनसीआर में बढ़ते दमघोटू प्रदूषण पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए दिल्ली केजरीवाल सरकार, हरियाणा भाजपा-खट्टर सरकार व केन्द्र की मोदी सरकार से आग्रह किया कि वे प्रदूषण पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति की बजाय प्रदूषण को खत्म करने व पर्यावरण की रक्षा के लिए दीर्घगामी प्रभावी कदम उठाये। विद्रोही ने कहा कि पिछले कई सालों से दीवाली के बाद नवम्बर माह में दिल्ली व एनसीआर सहित हरियाणा में भारी प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। हर वर्ष हम नवम्बर माह में दमघोटू प्रदूषण के खिलाफ शोर मचाते है, कुछ नौटंकीभरे कदम उठाते है और फिर दिसम्बर में भूल जाते है।
प्रदूषण के समय शोर शराबा करके जनहितैषी होने की नौटंकी करने की बजाय यदि हम पूरे साल गंभीरता से प्रदूषण को रोकने व पर्यावरण की रक्षा के लिए सकारात्मक, सार्थक व ठोस कदम उठाये तो ऐसी स्थिति आयेगी ही नही। सवाल उठता है कि नवम्बर माह में ही शोर क्यों? विद्रोही ने कहा कि दिल्ली के दमघोटू प्रदूषण का तो मीडिया में ज्यादा शोर है, पर देशभर में प्रदूषण मामले में नवम्बर वन हरियाणा के प्रदूषण के प्रति उतनी चिंता न तो मीडिया को है और न ही सरकारों को है जितनी दिल्ली में प्रदूषण को लेकर है। जबकि वास्तविकता यह है कि हरियाणा में दिल्ली से कहीं ज्यादा प्रदूषण है। वहीं दिल्ली के प्रदूषण के लिए सारा दोष किसानों के पराली जलाने पर डालकर दिल्ली सरकार व केन्द्र सरकार अपनी असफलता को छुपा रही है। पराली जलाना प्रदूषण बढने का अवश्य कारण है, पर यही एकमात्र कारण नही है।
पर्यावरणवादी सभी विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने से दिल्ली में केवल 8 से 10 प्रतिशत प्रदूषण बढ़ता है जबकि 90 से 92 प्रतिशत प्रदूषण अन्य कारणों से होता है। विद्रोही ने पूछा कि अन्य कारणों से हो रहे 90 से 92 प्रतिशत प्रदूषण को रोकने प्रभावी कदम उठाने की बजाय सारा ठीकरा किसानों के पराली जलाने पर फोडना ना केवल किसानों के साथ अन्याय है अपितु सरकारों अपनी जवाबदेही से भागना है। वहीं अधिकांश पर्यावरण विशेषज्ञों और केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड का मानना है कि दिल्ली में गाडियों पर ओड-इवेन फार्मूला लागू करने से प्रदूषण कम नही होने वाला, फिर इस नौटंकी का औचित्य क्या? विद्रोही ने कहा कि प्रदूषण क्यों बढ़ रहा है, इसकी ईमानदारी से वैज्ञानिके जांच की जरूरत है ताकि हम प्रदूषण समाप्त करने के लिए पत्ते, टहनियों का ईलाज करने की नौटंकी करने की बजाय प्रदूषण की जड़ों का ही ईलाज कर सके। जब तक हमारा राजनीतिक नेतृत्व व सरकारे आरोप-प्रत्यारोप छोड़कर ईमानदारी से प्रदूषण खात्मे व पर्यावरण रक्षा के लिए गंभीर कठोर कदम नही उठायेगी, तब तक यह समस्या खत्म नही होने वाली।
Post A Comment:
0 comments: