27 नवम्बर 2019 :हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कांग्रेस, एनसीपी व शिवसेना व अन्य सहयोगी दलो को मिलाकर महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठगबंधन बनाने व नवगठित महाविकास अघाड़ी के 166 विधायकों द्वारा सर्वसम्मति से श्री उद्धव ठाकरे को विधायक दल का नेता चुने जाने पर हार्दिक बधाई देते हुए स्वागत किया। विद्रोही ने कहा कि 28 नवम्बर को श्री उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यंमत्री की शपथ महाविकास अघाड़ी के अन्य नेताओं के साथ लेंगे। महाविकास अगाड़ी ने घोषणा की है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत पांच वर्ष तक सभी वर्गो के हितों व महाराष्ट्र के विकास के लिए काम करेंगे। महाविकास अघाड़ी का बनना ना केवल महाराष्ट्र अपितु देश की राजनीति ंमे भी एक गुणात्मक परिवर्तन लायेगा। मोदी-भाजपा-संघ की फासिस्ट व संविधान विरोधी अलोकतांत्रिक राजनीति के खिलाफ देश की राजनीति में यह शंखनाद है जिसकी गूंज पूरे देश के सामाजिक व राजनीतिक परिवेश में गुणात्मक परिवर्तन लाने का काम करेगी। विद्रोही ने कहा कि शनिवार की आधी रात को सुबह 8 बजे तक महाराष्ट्र में फर्जीवाड़े, गैर संवैद्यानिक रूप से सत्ता, ईडी, आईटी, सीबीबाई, राज्यपाल व राष्ट्रपति पद का दुरूपयोग करके देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री की शपथ दिलवाई, वह भारत के प्रजातांत्रिक इतिहास में एक अमिट कलंक के रूप में दर्ज हो चुका है।
वहीं विद्रोही ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के देवेन्द्र फडणवीस को सांय 5 बजे तक बहुमत साबित करने के आदेश देने के बाद चार घंटे बाद ही देवेन्द्र फडणवीस का मैदान छोडक़र मुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र देने से फिर साबित हो गया कि मोदी-अमित शाह-राज्यपाल तीनों ने पदों का दुरूपयोग करके लोकतंत्र व संविधान की हत्या करके असंवैद्यानिके रूप से जबदरस्ती मुख्यमंत्री बनाया था और जब सुप्रीम कोर्ट ने खुले मतदान के जरिये कैमरों के सामने बहुमत सािबत करने का आदेश दिया तो खरीद-फरोख्त, फर्जीवाड़ेे, बेईमानी, सत्ता दुरूपयोग की सभी संभावनाएं खत्म होने के बाद भाजपा के पास बेआबरू होकर महाराष्ट्र की सत्ता छोडने के अलावा कोई विकल्प नही बचा था। विद्रोही ने कहा कि महाराष्ट्र घटनाक्रम के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को एक क्षण भी अपने पदों पर बने रहने का नैतिक अधिकार नही है। किन्तु संवैद्यानिक पदों पर बैठे उक्त व्यक्तियों से नैतिकता, ईमानदारी, जवाबदेही की आशा करना बेमानी है। ऐसी स्थिति में देश की जनता को ही तय करना होगा कि जिन लोगों का संविधान, लोकतंत्र में किंचित मात्र भी आस्था नही है और जो फासीजम में प्रबल आस्था रखते है, उन्हे भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में जनसमर्थन देकर क्या देश, संविधान, लोकतंत्र व आम नागरिकों के दूरगामी हितों के लिए सही होगा? यदि देश की जनता ने फासीजम, अलोकतांत्रिक, तानाशाही प्रवृत्ति वाले भाजपा-संघ को राजनीतिक पृष्ठभूमि से उखाड़ कर नही फेंका तो भारत पर फासीजम का खतरा बरकरार रहेगा। विद्रोही ने कहा कि भारत के विगत 72 के साल प्रजातांत्रिक इतिहास में कांग्रेस सहित विभिन्न केन्द्र सरकारों ने गलतियां करके राज्य सरकारे बनाई व गिराई है, पर देश के इतिहास में कभी भी आधी रात को गुपचुप व चोरी से न तो बिना केबिनेट की स्तुंति के राष्ट्रपति शासन हटा है और न ही फर्जीवाड़े से चोरों की तरह किसी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई है।
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