नई दिल्ली: कोई किसी राज्य का मुख्य्मंत्री बनता है तो अचानक उसकी सुरक्षा में भारी भरकम पलटन लग जाती है। साइकिल से चलने वाले अचानक हेलीकाफ्टर से चलने लगते हैं। राजाओं से अच्छी जिंदगी हो जाती है। कोई किसी राज्य का मुख्य सचिव नियुक्त किया जाता है वो उसकी भी बल्ले-बल्ले हो जाती है। लाखों की पगार के साथ साथ कई तरह की सुविधाएँ मिलतीं हैं लेकिन इन पदों पर ये नेता और ये अधिकारी कुर्सी या रोटी तोड़ने के लिए विराजमान किये जाते हैं। इन्हे जिस तरह की सुख सुविधाएँ दी जाती हैं इनसे अपेक्षा भी उतनी ही होती है कि ये जनता के लिए काम करेंगे और अपने प्रदेश की जनता को खुशहाल रखने का प्रयास करेंगे लेकिन शायद ऐसे मुख्यमंत्री और ऐसे मुख्य सचिव अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं तभी कई राज्यों की जनता प्रदूषण से बेहाल है। यही कारण है कि सुप्रीम के दो जज आज आगबबूले हो गए और पंजाब और हरियाणा सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि जो सरकारें जनता का ख़याल नहीं रख सकतीं उन्हें अपने पदों पर बने रहने का कोई हक़ नहीं है।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने सवाल किया क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से इसी तरह मरने देंगे। क्या आप देश को 100 साल पीछे जाने दे सकते हैं?' बेंच ने कहा कि हमें इसके लिए सरकार को जवाबदेह बनाना होगा। बेंच ने सवाल किया, 'सरकारी मशीनरी पराली जलाए जाने को रोक क्यों नहीं सकती?' जजों ने राज्य सरकारों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यदि उन्हें लोगों की परवाह नहीं है तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। बेंच ने कहा कि आप (राज्य) कल्याणकारी सरकार की अवधारणा भूल गए हैं। आप गरीब लोगों के बारे में चिंतित ही नहीं हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
सुनवाई के दौरान दोनों राज्यों के सीएम तो नहीं पहुंचे जबकि उन्हें पहुंचना था। दोनों राज्यों के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे जिन्हे फटकारते हुए जजों ने कहा कि आप लोग अपनी ड्यूटी निभाने में नाकाम रहे हैं। आप लोगों को अपने पद पर बने रहने का कोई हक़ नहीं है।
जजों ने कहा कि लोग कैंसर से मर रहे हैं, अस्थमा से मर रहे हैं, हमें गरीबों के बारे में सोंचना पड़ेगा। जजों ने कहा कि अगर किसान पराली जला रहे हैं तो पहले से सोंचना था और उन्हें मशीने उपलब्ध करवानी थीं और अगर आपके पास पैसे नहीं हैं तो हमसे बता देते, हम फंड इकठ्ठा करते। जजों ने कहा कि आप लोग अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं तभी जनता का हाल बेहाल है।
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