नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद कांग्रेस लगभग मजे ले रही है। जिस दिन भाजपा ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने का इरादा छोड़ा उसी दिन से शिवसेना कांग्रेस के पीछे पडी है और दो दिन पहले कांग्रेस के इशारे के बाद शिवसेना की तरह से केंद्र में मंत्री अरविन्द सावंत ने स्तीफा दिया लेकिन बेचारे वो भी लटक गए। कांग्रेस की तरफ से कहा जाता रहा कि दिल्ली में बैठक चल रही है लेकिन ये बैठक आज दोपहर तक लगभग चलती ही रही। दोपहर बाद कई कांग्रेसी नेता उस समय मुंबई पहुंचे जब शिवसेना-एनसीपी का खेल खराब हो चुका था।
अब कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर लिखा है कि बोम्मई केस के मुताबिक़ अगर किसी पार्टी को बहुमत नही था तो गवर्नर के लिए ज़रूरी था कि संख्याबल में-
1. चुनाव से पहले हुए सबसे बड़े प्री पोल गठबंधन को मौक़ा दें यानी भाजपा-शिव सेना;
फिर
2. चुनाव से पहले हुए दूसरे सबसे बड़े प्री पोल गठबंधन को मौक़ा दें यानी कांग्रेस-NCP;
फिर
3. गवर्नर ने हर पार्टी को अलग अलग बहूमत साबित करने का मौक़ा दिया तो फिर कांग्रेस को क्यों नही?
और
4. बहुमत साबित करने की अलग-अलग समय सीमा क्यों?
भाजपा को 48 घंटे,
शिव सेना को 24 घंटे,
NCP को 24 घंटे भी नही,
और
कांग्रेस को 1 मिनट भी नही?
यह निर्लज राजनीतिक बेईमानी है।
3/33. गवर्नर ने हर पार्टी को अलग अलग बहूमत साबित करने का मौक़ा दिया तो फिर कांग्रेस को क्यों नही?और4. बहुमत साबित करने की अलग-अलग समय सीमा क्यों?भाजपा को 48 घंटे,शिव सेना को 24 घंटे,NCP को 24 घंटे भी नही,औरकांग्रेस को 1 मिनट भी नही?यह निर्लज राजनीतिक बेईमानी है। pic.twitter.com/EwQbMYlkYJ— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 12, 2019
2/3बोम्मई केस के मुताबिक़ अगर किसी पार्टी को बहुमत नही था तो गवर्नर के लिए ज़रूरी था कि संख्याबल में-1. चुनाव से पहले हुए सबसे बड़े प्री पोल गठबंधन को मौक़ा दें यानी भाजपा-शिव सेना;फिर2. चुनाव से पहले हुए दूसरे सबसे बड़े प्री पोल गठबंधन को मौक़ा दें यानी कांग्रेस-NCP;
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 12, 2019
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