नई दिल्ली: नोटबंदी के आज तीन साल पूरे हो रहे हैं। तीन साल पहले आज की शाम को एक तरह से भूकंप आया था। 8 नवंबर, 2016, इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट पुराने नोट बंद करने की घोषणा की थी। इसके तुरंत बाद ही मानो पूरे देश में भूकंप सा आ गया। एटीएम के बाहर लंबी लाइनें, जमकर शॉपिंग और ढेर सारी प्रतिक्रियाएं। हमें बहुत कुछ देखने को मिला। सियासी बयानबाजी भी खूब हुई। सत्ता पक्ष ने जहां फैसले को देशहित में बताया, तो वहीं विपक्ष ने जमकर आलोचना भी की। कांग्रेस अब भी इस मुद्दे को उठाती रहती है।
विपक्ष को नोटबंदी के बाद तो खास फायदा नहीं मिला। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए जिसमे भाजपा को जीत मिली लेकिन इसके बाद भाजपा का नुक्सान होने लगा। गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा पहले से कमजोर दिखी उसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छतीसगढ़ में भाजपा सत्ता से दूर हो गई और अब महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए जहाँ हरियाणा में तो जजपा की वैशाखी के सहारे भाजपा की सरकार बन गई लेकिन महाराष्ट्र में अब भी सरकार बनाने की मारामारी चल रही है। माना जा रहा है कि सीएम देवेंद्र फडणवीस आज स्तीफा दे सकते हैं।
इसी साल लोकसभा चुनाव हुए जिसमे भाजपा को पहले से ज्यादा सीटें मिलीं लेकिन राज्यों में भाजपा कमजोर होने लगी है। गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव इसके उदाहरण हैं। जल्द दिल्ली और झारखण्ड में भी भाजपा की परीक्षा है। नोटबंदी के बाद अधिकतर बड़े राज्यों के मुख्य्मंत्री जनता को नहीं भाये। उनमे कुछ न कुछ कमियां जरूर रही होंगी।
Post A Comment:
0 comments: