फरीदाबाद: सूरजकुंड के पास कांत एन्क्लेव में बड़े दर्जनों अवैध निर्माण कुछ माह पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तोड़े गए थे लेकिन अब भी भू माफियाओं की नजर वन विभाग की इस जमीन पर है जिसे देखते हुए बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के प्रधान एडवोकेट एलएन पाराशर ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाईं है है कि कोई ऐसी व्यवस्था की जाए कि वन विभाग की जमीन पर कोई दुबारा कब्ज़ा न कर सके।
वकील पाराशर ने लिखित याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट मांग की है कि अरावली के वन विभाग की जमीन पर बने अन्य अवैध निर्माण भी कांत एन्क्लेव के अवैध निर्माणों की तरह ढहाए जाएँ। पाराशर के मुताबिक़ फरीदाबाद कई वर्षों से प्रदूषण की चपेट में है और देश का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया जा चुका है जिसका प्रमुख कारण अरावली चीरहरण है। पाराशर ने कहा कि भू माफियाओं न अरावली की जमीन कब्ज़ा ली और बड़े बड़े निर्माण कर लिए जबकि खनन माफियाओं ने अरावली के कई बड़े पहाड़ गायब कर दिए जिस कारण फरीदाबाद की जनता भयंकर प्रदूषण झेल रही है और शहर के लोग कैंसर से अस्थमा से बेमौत मर रहे हैं।
वकील पाराशर ने कहा कि दो दशकों से अरावली का चीरहरण हो रहा है और इस दौरान फरीदाबाद में बड़ी-बड़ी बीमारियां पैर पसारती चली गईं और अब यहाँ के हजारों लोग कैंसर और अस्थमा जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि अब भी समय है। अरावली पर बने अवैध निर्माण हटाकर वहाँ पेड़ पौधे लगाए जाएँ और खनन माफियाओं पर अंकुश लगाया जाए तब जाकर शहर का भला हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि फरीदाबाद के अधिकारी अब भी अरावली पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शहर की झुग्गी बस्ती कभी भी धराशाई कर दी जाती है लेकिन बड़े अवैध निर्माणों पर अधिकारी हमेशा मेहरबान दिखते हैं जिस कारण अरावली के भूमाफियाओं के हौसले बुलंद रहते हैं और वो अब भी अपने मनमर्जी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहर के कुछ नेताओं की भी अरावली पर टेढ़ी नजर रहती है और उन्होंने भी तमाम बड़े-बड़े फ़ार्म हाउस अरावली पर बना लिए हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में फ़ाइल याचिका में मैंने मांग की है कि जो भी अरावली का चीरहरण कर रहे हैं और करवा रहे हैं उन सभी पर कार्यवाही की जाए।
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