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जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में ‘जश्न-ए-फरीदाबाद’ कार्यक्रम का शानदार आगाज

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फरीदाबाद, 16 नवम्बर - जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद और फरीदाबाद लिटरेरी एंड कल्चर क्लब के संयुक्त में विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित दो दिवसीय ‘जश्न-ए-फरीदाबाद’ कार्यक्रम आज प्रारंभ हो गया। दो दिवसीय कार्यक्रम में पुस्तक मेला, संगोष्ठी, नाटक, मुशायरा, गायन तथा विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार, कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार गर्ग, फरीदाबाद लिटरेरी एंड कल्चर सेंटर के अध्यक्ष विनोद मलिक, प्रसिद्ध साहित्यकार असगर वजाहत और जीवा संस्थान के अध्यक्ष श्री ऋषि पाल चौहान मुख्य रूप से उपस्थित थे तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर समकालीन विश्व में साहित्य की महत्वता विषय पर परिचर्चा तथा विद्यार्थियों के लिए चित्रकारी प्रतियोगिता आयोजित की गई।
परिचर्चा को संबोधित करते हुए असगर वजाहत ने समाज में संवेदनशीलता के लिए साहित्य एवं कला को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा और साहित्य के बिना समाज में सार्थक परिवर्तन नहीं लाया जा सकता। परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि कला और साहित्य के संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण यह है कि हम किस तरह की शिक्षा ले रहे है। आज सूचना व संचार प्रौद्योगिकी के युग में युवा पीढ़ी साहित्य से दूर हो रही है, जिसे फिर से कला व साहित्य से जोड़ने की आवश्यकता है। युवा वर्ग सोशल मीडिया पर तो सक्रिय है लेकिन सामाजिक रूप से संवेदनशीलता का आभाव है। 

साहित्य को समाज का दर्पण बताते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि किसी देश की ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की मुकम्मल तस्वीर उस देश के साहित्य में मिलती है। इसलिए कहा जाता है कि ‘‘अंधकार है वहाँ जहाँ, आदित्य नहीं है, मुर्दा है वह देश, जहाँ साहित्य नही है।’’ उन्होंने फरीदाबाद लिटरेरी एंड कल्चर क्लब द्वारा कला व साहित्य के विभिन्न रूपों को एक ही मंच पर लाने के प्रयासों की सराहना की।
इससे पहले, कुलपति ने विश्वविद्यालय प्रांगण में लाये जा रहे पुस्तक मेले का अवलोकन भी किया। कार्यक्रम के पहले दिन साहित्य का फिल्मों में व फिल्मों का साहित्य में योगदान विषय पर परिचर्चा का आयोजन भी किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता लेखक व समालोचक यतीन्द्र मिश्रा तथा प्रसिद्ध कवि दिनेश रघुवंशी रहे। इसके उपरांत असगर वजाहत द्वारा लिखित तथा शकील खान द्वारा निर्देशित प्रसिद्ध नाटक ‘जिस लाहौर नई देख्या, ओ जम्याई नई’ की प्रस्तुति दी गई। इस नाटक का मंचन देश और विदेशों में हो चुका है। शाम को ‘एक शाम गालिब के नाम’ कार्यक्रम की प्रस्तुति हुई, जिसे श्रोताओं द्वारा खूब सराहा गया।
विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का संचालन डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. नरेश चौहान तथा डॉ. सोनिया बंसल की देखरेख में किया जा रहा है।
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