फरीदाबाद: आम आदमी पार्टी का नेता कहें या पाली गांव के मूल निवासी, सोशल मीडिया पर धर्मबीर भड़ाना ने लिखा है कि पिछले कुछ दिनों से चर्चा है कि इस बार चुनाव के बाद पाली गांव से धारा 370 खत्म हुई है। धर्मबीर भड़ाना बड़खल विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने ऐसा क्यू लिखा इस पर तरह तरह की बातें हो रहीं हैं। सूत्रों की मानें तो धर्मबीर भड़ाना ने ऐसा इसलिए लिखा है कि दशकों बात नवादा कोह गांव का कोई नेता सत्ता ने नहीं है। पिछली बार इस गांव के नगेंद्र भड़ाना एनआईटी के विधायक थे लेकिन इस बार वो भाजपा की टिकट पर चुनाव हार गए और इसी गांव के मूल निवासी विजय प्रताप सिंह ने इस बाद बड़खल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और वो भी उप विजेता रहे। दोनों चचेरे भाई बहुत कम वोटों से चुनाव हारे लेकिन लगता है पाले गांव के लोग दोनों भाइयों की हार से खुश हैं तभी भड़ाना ऐसा लिख रहे हैं।
नवादा कोह की बात करें तो हरियाणा अब तक के पास अपने सूत्रों से जो जानकारी है उसके मुताबिक़ 28 फरवरी 1945 में नवादा कोह गांव में पैदा हुए महेंद्र प्रताप सिंह 5 बार विधायक रह चुके हैं। उस समय के जाने माने समाजसेवी एवं गुड़गांव के प्रथम चेयरमैन चौधरी नेतराम सिंह जो किसानों के मसीहा के रूप में भी जाने जाते थे उनके पुत्र महेंद्र प्रताप सिंह ने 21वर्ष की आयु में अपना पहला चुनाव वर्ष 1966 में लड़ा और गांव के सरपंच चुने गए। वर्ष 1972 में उन्होंने ब्लॉक समिति का चुनाव लड़ा और समिति के चेयरमैन चुने गए। वर्ष 1977 में महेंद्र प्रताप सिंह ने पहला विधानसभा चुनाव बतौर निर्दलीय लड़ा, जिसमें उन्हें करीब 772 मतों के अंतर से हार मिली।
उन्होंने वर्ष 1977 से वर्ष 2014 तक के सभी नौ विधानसभा चुनाव लड़े हैं। वह नौ में से पांच बार विधायक चुने गए, जबकि चार बार चुनाव हारे। एक बार महेंद्र प्रताप सिंह ने बसपा से चुनाव लड़ा लेकिन भाजपा के कृष्णपाल से मात्र 161 मतों के अंतर से हार गए।
महेंद्र प्रताप सिंह यूं तो अधिकांश समय कांग्रेस में रहे। विधानसभा चुनाव की शुरुआत वर्ष 1977 में बतौर निर्दलीय की थी और चुनाव हार गए। जबकि अगले वर्ष 1982 का चुनाव लोकदल से लड़ा और करीब 6574 मतों के अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार को हरा पहली बार विस पहुंचे। फिर कांग्रेस में शामिल हुए और 1987 में जीते। फिर वर्ष 2000 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो बसपा में गए और 161 मतों से हार गए और वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए।
महेंद्र प्रताप सिंह के नाम हरियाणा में सबसे अधिक मत प्राप्त करने का रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने हरियाणा की 10वीं विधानसभा के लिए वर्ष 2005 में हुए चुनाव में रिकॉर्ड करीब 1,11,478 मतप्राप्त किए थे और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर को करीब 63,108 मतों से हराया था।
महेंद्र प्रताप सिंह 1991 से 1996 तक हरियाणा के केबिनेट मंत्री रहे और यही नहीं 2009 से 2014 तक भी वो हुड्डा सरकार में केबिनेट मंत्री रहे और उस समय उनके पास कई विभाग थे और उन्हें हरियाणा का मिनी सीएम भी कहा जाता था लेकिन 2014 में मोदी लहर चली और ये सीट भाजपा के खाते में चली गई और सीमा त्रिखा बड़खल से चुनाव जीत गईं। इस बार महेंद्र प्रताप ने बड़खल से अपने पुत्र को मैदान में उतारा था लेकिन उनके पास समय कम था लगभग उन्हें 15 दिन ही मिले और 15 दिन में उन्होंने जमकर पसीना बहाया और लगभग 56 वोट झटक लिए और बहुत कम वोटों से उनकी हार हुई और उनकी ही नहीं नवादा कोह निवासी नगेंद्र भड़ाना भी एनआईटी से बहुत कम वोटों से चुनाव हार गए और गांव से सत्ता छिन गई। यही नहीं इसी गांव के मूल निवासी पुरुषभान भी 1991 में कालका के विधायक रह चुके हैं।
नोट ( खबर जल्दी में लिखी गई है लेकिन ऐतिहासिक खबर है, कोई स्पेलिंग गलत हो सकती है, सिर्फ एक फीसदी आंकड़े में कोई गड़बड़ी हो सकती है, 99 फीसदी सब कुछ ठीक है, जल्द में कहीं कोई गलती हो तो माफी चाहता हूँ, फरीदाबाद की नई पीढ़ी तक अपने नवादा गांव का इतिहास पहुँचाने का छोटा सा प्रयास किया हूँ , आपको पता होगा कि सुबह लगभग 7 बजे से लेपटाप के सामने रोजाना बैठने वालों का इस समय क्या हाल होता होगा और वो भी लगभग 14 से लगातार बिना किसी छुट्टी के )
आपको एक बात और बता दें कि पाली गांव की बात करें तो यहाँ अब एक से एक शिक्षित लोग हैं, गांव के कई युवा देश के बड़े अधिकारी हैं लेकिन इस गांव के लफंडर जब भाखरी और नवादा से गुजरते थे तो चुपचाप गुजरते थे। शायद इस वजह से कि इस गांव में सत्ता हुआ करती थी। अब पाली के भड़ाना ने कहा कि पाली गांव से धारा 370 ख़त्म, उन्होंने क्यू ऐसा लिखा, छोटा सा उदाहरण दिया हूँ, पूरी खबर तो इन दोनों गांवों पर लिखी जाये तो सुबह हो जाएगी। हम समय समय पर इन गावों में जाते रहते है इसलिए हमें इन गांवों के बारे में और यहाँ के लोगों के बारे में बहुत जानकारी है। हम जमीन से जुड़े हैं इसलिए ऐसी ऐतिहासिक खबरें आप तक पहुंचाते हैं।
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