चंडीगढ़, 17 नवंबर- हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि वर्तमान पर्यावरणीय परिदृश्य को देखते हुए इटली देश की भांति भारत की शिक्षा-नीति में जलवायु परिवर्तन से संबंधित पाठ्यक्रम शामिल किया जाना चाहिए ताकि देश की युवा पीढ़ी बढ़ते प्रदूषण के प्रति जागरूक हो सके। उन्होंने इस बारे में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखा है।
चौटाला ने इस पत्र में कहा है कि हमारे देश समेत अन्य विकासशील देशों के सम्मुख जलवायु-परिवर्तन प्रमुख चुनौतियों में से एक है, जिसका हर नागरिक के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। राष्टï्रीय राजधानी क्षेत्र में वर्तमान स्थिति ने पूरे क्षेत्र को एक गैस चैंबर बना दिया। स्थिति इतनी चिंताजनक बन गई थी कि प्रधानमंत्री कार्यालय, सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी को हस्तक्षेप करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि अब उचित समय है कि हमें जलवायु-परिवर्तन की इस गंभीर स्थिति का स्थायी समाधान खोजने के लिए सामूहिक प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन का बड़े पैमाने पर प्रयोग करना और अस्थायी विकास के लिए वनों की कटाई किया जाना जलवायु परिवर्तन का मूल कारण है। पर्यावरण के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता की कमी के कारण इन मानवीय गतिविधियों को आमतौर पर बेतरतीब ढंग से किया जाता रहा है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर लोगों में जागरूकता लाने के लिए प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्चतर शिक्षा स्तर तक यह विषय पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी जलवायु और सतत विकास के महत्व को समझ सके।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने पत्र में आगे कहा है कि स्कूली पाठ्यक्रम में ‘क्लाइमेट चेंज एंड सस्टेनेबिलिटी क्लासेस’ विषय को अनिवार्य करने वाला इटली हाल ही में विश्व का पहला देश बन गया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की शिक्षा नीति में यह विषय पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि यदि शिक्षा-नीति में इस तरह का कदम उठाया जाता है तो हमारा देश ‘सुरक्षित और स्वस्थ भारत’ बन जाएगा।
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