28 अक्टूबर 2019 : हरियाणा विधानसभा चुनाव बाद गठबंधन से बनी भाजपा-जजपा सरकार के मुख्यमंत्री मनेाहरलाल खट्टर व उपमुख्यमंत्रीे दुष्यंत चौटाला के अपने-अपने पदों की शपथ लेने के बाद सत्ता संभालने पर हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने दोनो नेताओं को हार्दिक बधाई देते हुए आशा प्रकट की कि वे चुनाव में जनता ये किये गए वायदों को निभाएंगे। विद्रोही ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार जनादेश की भावना के विपरित अवसरवादी सत्ता लोलूप ऐसी गठबंधन सरकार है जिससे हरियाणा के लोगों को ज्यादा आशा नही रखनी चाहिए। भाजपा से गठबंधन बनाने से पूर्व जजपा नेता दुष्यंत चौटाला नेे दावा किया था कि वे न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर सरकार बनायेंगे, लेकिन भाजपा-जजपा के सत्ता संभालने के बाद आम हरियाणवी को नही पता कि आखिर वह न्यूनतम साझा कार्यक्रम क्या है जिसके आधार पर गठबंधन सरकार बनाने का फैसला किया है।
विद्रोही ने कहा कि मीडिया के माध्यम से आई खबरों व दोनो दलों के नेताओं के बयानों से न्यूनतम साझा कार्यक्रम क्या है, इसका दूर-दूर तक अभी तक नही पता चला है। जनता को इतना ही पता है कि भाजपा-जजपा के बीच जो सत्ता का सौदा हुआ है, उसमें दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री पद व दो केबिनेट व एक राज्यमंत्री का पद मिला है। वहीं दुष्यंत चौटाला ने अपने एक नेता को राज्यसभा में भेजने की शर्त लगाई है। इस सौदे के तहत डील होते ही बिना एक क्षण गवाये तिहाड़ जेल में दस साल की सजा काट रहे दुष्यंत चौटाला के पिता अजय सिंह चौटाला को रातो-रात 14 दिन की फरलो देकर तिहाड़ जेल से बाहर किया।
विद्रोही ने कहा कि सार्वजनिक रूप से भाजपा-जजपा गठबंधन के बारे में जो खबरे आई है, उससे देखकर लगता है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम के नाम पर चौटाला परिवार के हित का साझा कार्यक्रम तय हुआ है जिसको पूरा करने की शुरूआत हो चुकी है। आगे चलकर इस परिवार हित कार्यक्रम को अमलीजाम पहनाने जो भी हरियाणा सरकार कदम उठायेगी, उसी से पता चल जायेगा कि आखिर इस अवसरवादी, सिद्धांतहीन गठबंधन की छिपी शर्ते क्या है? विद्रोही ने कहा कि गठबंधन के बाद मीडिया के सामने दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जजपा को कांग्रेस के खिलाफ भी जनादेश मिला है, पर प्रदेश में सरकार तो पांच साल से भाजपा की थी, फिर जजपा को कांग्रेस के खिलाफ जनादेश मिलने की बात हास्यास्पद व क्रूर मजाक नही तो क्या है? जजपा ने दस विधानसभा सीटे जीती है, जिसंमे 8 सीटे बड़े अंतर से भाजपा के खिलाफ जीती है जबकि केवले दो सीटे ही जजपा ने थोडे अंतर से कांग्रेस के खिलाफ जीती है। जजपा की जीती गई सीटे ही चीख-चीखकर बता रही है कि जनादेश क्या है? वहीं जजपा-दुष्यंत का पूरा चुनाव प्रचार अभियान मोदी-भाजपा-खट्टर के खिलाफ था न कि कांग्रेस के खिलाफ।
विद्रोही ने कहा कि जजपा को मिलने वाली 95 प्रतिशत मतदाता भाजपा के खिलाफ थे और उन्होंने जजपा को भाजपा-खट्टर सरकार को हटाने व कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने का जनादेश दिया था। लेकिन जजपा ने प्रदेश, किसान, मजदूर, गरीब, युवा, पिछड़े, दलित, महिला, बेरोजगारों के हितों को तांक पर रखकर अपने पारिवारिक निजी हितों की पूर्ति के लिए भाजपा से अवसरवादी, सिद्धांतहीन, सत्ता लोलूप गठबंधन करना जरूरी समझा है जो जजपा मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी है। विद्रोही ने कहा कि निजी स्वार्थो, सत्तालोलूप व धोखाधड़ी के आधार पर बनी भाजपा-जजपा सरकार प्रदेश व हरियाणावासियों का कितना हित कर पायेगी, इस पर टिप्पणी करना बेमानी है।
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