फरीदबाद: तिगांव विधानसभा क्षेत्र का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। परिसीमन 2009 में मेवला महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र और बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र के कुछ भाग को मिलाकर तिगांव विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने 2009 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर को विधायक चुन कर विधानसभा में भेजा। प्रदेश में सरकार कांग्रेस की बनी। विधायक को विपक्ष में बैठना पड़ा जिस कारण ये विधानसभा क्षेत्र विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ गया।
2014 में कृष्णपाल गुर्जर ने लोकसभा चुनाव लड़ा और रिकार्ड मतों से जीत के बाद केंद्र में मंत्री बन गए और उसके लगभग 5 महीने बाद विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस ने ललित नागर और भाजपा ने राजेश नागर को मैदान में उतारा। 2014 में भाजपा प्रत्याशी राजेश नागर मामूली मतों से चुनाव हार गए और क्षेत्र की जनता ने कांग्रेस प्रत्याशी ललित नागर को चुनकर विधानसभा में भेजा है। प्रदेश में सरकार बनाने का बहुमत भाजपा को मिला है। भाजपा की सरकार बनने के कारण तिगांव के विधायक ललित नागर को एक बार फिर विपक्ष में बैठना पड़ेगा।
तिगांव क्षेत्र एक बार फिर से विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ सकता था लेकिन केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने मोर्चा संभाल लिया और तिगांव विकास के मामले में ज्यादा नहीं पिछड़ सका और हरियाणा के कई विधानसभा क्षेत्रों से काफी ज्यादा विकास तिगांव का करवाया गया। अब 2019 के चुनावों में फिर कांग्रेस ने ललित नागर और भाजपा ने राजेश नागर को मैदान में उतारा है। अब देखना है कि इस बार भी यहाँ के मतदाताओं को विपक्ष में बैठने वाले विधायक ही पसंद आते हैं या कुछ अलग होगा। इस क्षेत्र में ललित नागर की बात करें तो वो लगातार जनता के बीच में रहे हैं और भाजपा के राजेश नागर भी इस बार जमकर पसीना बहा रहे हैं। यहाँ फिर कांटें का मुकाबला देखने को मिल सकता है। 2009 से ही यहाँ कांटे का मुकाबला रहा है। उस समय कृष्णपाल गुर्जर 811 मतों से जीते थे जबकि 2014 में ललित नागर ने भाजपा के राजेश नागर को 2938 वोटों से हराया था।
इस बार कहा जा रहा है कि हरियाणा में फिर भाजपा की सरकार बनेगी अब देखना है तिगांव वाले कोई चमत्कार करते हैं या पुरानी राह पर ही चलेंगे।
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