चंडीगढ़: भाजपा के तमाम नेताओं को एक बात कड़वी लग सकती है लेकिन सच कड़वा होता है और सच यही है कि प्रदेश की अधिकतर जनता को सीएम के रूप में मनोहर लाल खट्टर पसंद नहीं हैं। हरियाणा अब तक नहीं कई बार ऑनलाइन सर्वे किया लगभग सभी सर्वे में प्रदेश की जनता ने उन्हें अच्छा सीएम नहीं बताया। एक कड़वा सत्य ये भी है खट्टर भ्रष्टों की पहली पसंद हैं चाहे वो भ्रष्ट नेता हों या भ्रष्ट अधिकारी। अपने कार्यकाल में खट्टर ने जितनी बार अपने कार्यकर्ताओ को डांटा, गर्दन काटने की बात की उतनी बार किसी भ्रष्ट अधिकारी या भ्रष्ट नेता को नहीं डांटा जिस कारण हरियाणा में भ्रष्टाचार कम होने की बजाय बढ़ता चला है। सम्बंधित विभाग को 100 रूपये 500 रूपये की रिश्वत लेने वाला ट्रैफिक हवलदार या 5000, दस हजार की रिश्वत लेने वाले अधिकारी ही दिखाई दिए और ऐसे लोग ही पकडे गए जबकि लाखों करोड़ों का खेल करने वाले खट्टर के कार्यकाल में मौज करते देखे गए।
क्या प्रदेश में 5 हजार 10 हजार से ज्यादा रिश्वत लेने वाले नहीं हैं? एक दो नहीं हजारों हैं और प्रदेश की जनता इन्हे झेल रही है इसलिए जब सरकार भ्रष्टाचार के खात्मे का दावा करती है तो लोग सरकार पर हँसते हैं। कहें न कहीं मनोहर लाल का कम राजनीतिक तजुर्बे के कारण ये सब संभव हुआ। प्रदेश में कई तजुर्बेकार भाजपा नेता हैं। विधायक मंत्री रह चुके हैं लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर मनोहर लाल को कुर्सी सौंपी गई। कई बार प्रदेश में आग लगी, कई बार फ़ौज बुलानी पडी लेकिन खट्टर का बाल भी बांका नहीं हुआ। हाईकमान ने खट्टर पर हमेशा दया दृष्टि बनाकर रखी। किस्मत अच्छी थी क्यू कि हरियाणा का विपक्ष कभी खट्टर से लड़ते नहीं दिखा आपस में ही लड़ता रहा जिसका फायदा हरियाणा भाजपा को कई चुनावों में मिला। हाईकमान समझता रहा कि ये सब खट्टर के अच्छे नेतृत्व के कारण हो रहा है और उनके कारण ही भाजपा सभी चुनाव जीत रही है लेकिन सच ये है कि सभी चुनावों में मोदी का जादू चला था और लोकसभा चुनावों तक भी ये हवा जारी रही। अब भी अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो ये मोदी जादू के कारण संभव होगा वरना खट्टर को तो अधिकतर लोग देखना और सुनना तक नहीं पसंद करते यहाँ तक की भाजपा कार्यकर्त्ता भी उनकी रैलियों से किनारा करने लगे हैं। विधानसभा चुनावों में फरीदाबाद की कई रैलियों में ऐसा देखा गया।
शिक्षा और स्वाथ्य इंसान की पहली जरूरतों में शामिल है लेकिन पूरे पांच साल खट्टर ने इस मुद्दे को कुछ नहीं किया। लोग निजी स्कूलों में लुटते रहे, निजी अस्पतालों में लुटते रहे। पीएम की आयुष्मान भारत योजना का नाम अब भी प्रदेश के आधे गरीब नहीं जानते हैं। न ही उन तक इस योजना का कार्ड पहुंचा है। अधिकारीयों के महा लापरवाही के कारण अधिकतर गरीब इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। किसी गरीब को बड़ी बीमारी होती है तो वो किसी आम आदमी पार्टी के नेता से संपर्क कर दिल्ली भागता है क्यू कि वहां लाखों के इलाज पर कोई पैसा नहीं लगता। खट्टर ने केजरीवाल से कुछ नहीं सीखा। आदमी अपने से छोटा भी हो लेकिन उसके अंदर अगर कोई अच्छाई है तो हमें उसकी अच्छाई स्वीकार करनी चाहिए। दिल्ली सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर जितना काम किया हरियाणा सर्कार ने उसका 25 फीसदी भी नहीं किया।
नारनौल से फरीदाबाद ओवरलोडिंग डम्फर कैसे पहुँच जाता है, अरावली क्यू लुट गई? किसी बाबा ने सैकड़ों एकड़ जमीन फर्जी जीपीए से कैसे खरीद ली? ऐसे सैकड़ों प्रश्न हैं?
फिलहाल सबकी निगाहें कल की मतगणना पर हैं। भाजपा का 75 पार का दावा है क्यू कि 370 की मिसाइल दागी गई है। कांग्रेस और जजपा जैसी पार्टियों ने स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा है ,भाजपा की मिसाइल सटीक निशाने पर लगी तो कल फिर मनोहर लाल की किस्मत चमक जाएगी। निशाना चूका तो कुछ भी हो सकता है। वैसे आपको एक बार फिर बता दें कि विपक्ष का विखराव के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। हो सकता है कल भी? वैसे सीएम की ईमानदारी पर कोई शक नहीं है लेकिन भ्रष्ट अधिकारी और नेता उनके राजनीति के क्षेत्र की कमजोरी का फायदा उठाते हैं।
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