नई दिल्ली: फरवरी 2016 में जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद हरियाणा के मुख्य्मंत्री मनोहर लाल की जमकर खिंचाई हो रही थी और उस समय प्रदेश में सीएम बदलने की अफवाहें उड़ रहीं थीं और प्रदेश के कई दिग्गज नेता सीएम बनने की तैयारी भी करने लगे थे। अफवाह ही कि फरवरी-मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद हरियाणा में सीएम बदल दिया जाएगा। उस समय जितने नेता सीएम बनने का सपना देख रहे थे अब वो हरियाणा के किसी विधानसभा क्षेत्र के विधायक भी नहीं हैं। प्रदेश के कई दिग्गज केबिनेट मंत्री चुनाव हार गए जो खट्टर के लिए खतरा बन रहे थे।
रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनकड़ जैसे दिग्गज नेता के मैदान से गायब होने के बाद अब हरियाणा के खट्टर को आँख दिखाने वाला कोई नेता नहीं बचा है। उस समय कुरुक्षेत्र के सांसद राजकुमार सैनी के सपने भी बड़े थे, उस समय सपने पूरे नहीं हुए तो उन्होंने अपनी एक पार्टी बनाई और लोकसभा, विधानसभा चुनाव में पार्टी कोई चमत्कार नहीं कर सकी। सैनी भी एक तरह से गायब हो गए। अब उनके पांव शायद ही जल्द जम सकें।
भाजपा ही नहीं कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है। हुड्डा को आँख दिखाने वाले तंवर कांग्रेस से गायब हो चुके हैं। सुरजेवाला इस बार विधायक भी नहीं बन सके जबकि कैप्टन यादव भी अब रेस से कोसों दूर हो चुके हैं। हुड्डा के अधिकतर समर्थक विधायक बन चुके है जिस कारण किरण चौधरी भी का कद भी अब हुड्डा से काफी नीचे पहुँच गया है। कुल मिलकर हुड्डा और खट्टर के पांव के कांटे अब निकल चुके हैं।
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