फरीदाबाद: शहर के बायपास रोड के किनारे अभी भी तमाम लोग खुले में शौंच पर जाने पर मजबूर हैं। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के प्रधान एडवोकेट एल एन पाराशर का जिन्होंने बताया कि शुक्रवार सुबह मैंने कई लोगों को खुले में शौंच जाते देखा और जब उनसे पूंछा कि ऐसा क्यू कर रहे हैं क्यू कि सरकार का कहना है कि फरीदाबाद सितंबर 2017 में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो चुका है। वकील पाराशर ने कहा कि खुले में शौच करने जाने वाले लोगों ने बताया कि वो सेक्टर 7/8 के दुकानदार हैं और वहाँ शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए मजबूरन उन्हें नहर किनारे भागना पड़ता है।
पाराशर में कहा कि जब मैं बाजार में गया तो देखा कि प्रशासन द्वारा रखे गए शौचालय बंद हैं उन पर ताला जड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि कई महीने पहले मैंने यहाँ के लोगों की समस्या प्रशासन तक पहुंचाई थी लेकिन अधिकारी अब भी सो रहे हैं।
पाराशर ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत फरीदाबाद को खुले में शौच मुक्त दिखने के लिए नगर निगम प्रशासन और स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने सरकारी धन का अंधाधुंध इस्तेमाल किया। निगम प्रशासन ने वर्ष 2016 में 330 शौचालय 4500 रुपये प्रति यूनिट प्रतिमाह किराए पर किराए पर लिए थे। इनमें से अधिकतर शौचालय बंद हो गए हैं या इस्तेमाल योग्य नहीं रहते।
उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर बहुत पैसे आये लेकिन अधिकारी शायद डकार गए इसलिए फरीदाबाद अब तक स्मार्ट सिटी नहीं बन सका है। उन्होंने कहा कि फरीदाबाद का सत्यानाश करने में फरीदाबाद के कई विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों का अहम् योगदान है। उन्होंने कहा कि सेक्टर 7-8 बाजार में सैकड़ों दुकानदार हैं लेकिन शौचालय बंद रहने से मजबूरन उन्हें नहर किनारे जाने पड़ता है। उन्होंने कहा कि अधिकारी आइना दिखाने के बाद भी सोते रहते हैं।
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