\चंडीगढ़: न स्टार प्रचारक थे न बड़े नेता और कांग्रेस के पास चुनावों से पहले कार्यकर्ता भी नहीं थे। कांग्रेस में गुटबाजी देख अधिकतर कांग्रेसी कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो गए थे और यही सब देख कई बड़े नेता भी भाजपा में भर्ती हो चुके थे तब भी टीम हुड्डा ने 31 सीटें झटक ली जिसे देख भाजपा के धुरंधर हैरान हैं। भाजपा की बात करें तो पार्टी के पास हजारों की संख्या में पन्ना प्रमुख, सैकड़ों मंडल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष सहित संगठन के अन्य पदों पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की फ़ौज थी लेकिन भाजपा सिर्फ 40 सीटें सीट सकी जबकि मोदी, शाह, राजनाथ सिंह, योगी जैसे धुरंधर नेताओं ने हरियाणा में जमकर प्रचार किया। कई रैलियों को सम्बोधित किया। शायद यही कारण है कि हरियाणा भाजपा के दिग्गज सरकार बनने के बाद मुस्कुरा नहीं पा रहे हैं। अब सूत्रों द्वारा जानकारी मिल रही है कि जल्द भाजपा संगठन में बड़ा बदलाव हो सकता है। तमाम मंडल और जिला अध्यक्षों पर गाज गिर सकती है। पिछले चुनाव में भाजपा को 47 सीटें मिली थी और भाजपा को उम्मीद थी कि उसके पर दर्जनों स्टार प्रचारक हैं इसलिए 75 पार कर लेकिंगे लेकिन 47 का आंकड़ा भी नहीं छू सके और 40 पर सिमटना पड़ा और चौटाला से वैशाखी मांग खट्टर को चंडीगढ़ जाना पड़ा।
कांग्रेस की बात करें तो 2014 ही टीम हुड्डा आपस में लड़ रही थी और अंतिम समय पर भी तंवर हुड्डा की लड़ाई जारी रही। पार्टी के पास प्रदेश में संगठन नहीं था। जिला और मंडल अध्यक्ष नहीं थे। तंवर ने कुछ नेताओं को कुछ पद दिए थे और तंवर के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके अधिकतर समर्थक भी हुड्डा के खिलाफ हो गए लेकिन हुड्डा की सूझबूझ से कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली। अगर कांग्रेस के पास संगठन होता तो कांग्रेस आराम से कम से कम 50 सीटें जीत जाती। यही सब बात भाजपा इस समय सोंच रही है। भाजपा का खुफिया विभाग भी घमंड से चकनाचूर रहा और ये पता नहीं लगा सका कि हरियाणा में खट्टर के खिलाफ लहर चल रही है। कांग्रेस के लगभग आधा दर्जन प्रत्याशी पांच हजार से कम वोटों से हारे वरना सीएम पद के शपथ हुडा ही लेते।
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