अनूप कुमार सैनी हरियाणा अब तक रोहतक। पंजाब विधानसभा चुनावों में जिस प्रकार कांग्रेस पार्टी ने नशे को मुद्दा बना कर चुनाव जीता था, ठीक उसी प्रकार हरियाणा में चुनाव में भी इस बार ‘नशा’ मुद्दा बन चुका है। इस मुद्दे पर भी मंच से जहां सियासी प्रहार हो रहे हैं, वहीं कुछ दल इसे भुनाने को खासे बेकरार भी दिख रहे हैं।
खासकर उन विधानसभा क्षेत्रों में इस मुद्दे को विरोधी दल जोरों से उठा रहे हैं, जिस एरिया में नशे की समस्या गंभीर है। हरियाणा के ये क्षेत्र पंजाब और राजस्थान की सीमाओं से सटे हुए हैं। उधर विरोधियों के इस वार का जवाब भाजपा प्रत्याशी भी अपनी सरकार के कार्यकाल में नशे के विरूद्ध चलाए गए अभियानों की कामयाबी से विरोधियों को दे रहे हैं।
भाजपाई जनता को यह बताने का प्रयास में जुटे हैं कि प्रदेश में नशे के खिलाफ जितनी कार्रवाई मनोहर सरकार के कार्यकाल में हुई है, उतनी कार्रवाई पहले नहीं हुई है। इतना ही नहीं, भाजपाई प्रदेश में पहली बार बनाई गई यूथ पॉलिसी का हवाला देते हुए लोगों को मंच से बता रहे हैं कि प्रदेश में बनाई गई इस यूथ पॉलिसी का मकसद ही यही है कि किस तरह युवाओं को नशे व अन्य सामाजिक बुराइयों से दूर रखते हुए उन्हें खेलों व अन्य सामाजिक कार्यों की ओर मोड़ा जाए। इसके साथ ही प्रदेश में पहली बार गठित किए गए यूथ कमीशन की जानकारी भी लोगों को दी जा रही है।
दरअसल इस विधानसभा चुनाव में विरोधी दलों ने नशे के इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देते हुए इसे भाजपा के खिलाफ घेराबंदी का हथियार बनाया हुआ है। इस मुद्दे को मंच से उछालकर भाजपा को निशाने पर लेते हुए विरोधी दल लोगों में इस समस्या को बेहद गंभीर बताने के प्रयास में जुटे हुए हैं। मगर विरोधियों की इस घेराबंदी को कैसे तोड़ना है, भाजपा ने भी इसका होमवर्क किया हुआ है। भाजपाई जनता को यह भी बताने का प्रयास कर रहे हैं कि नशे की समस्या सिर्फ हरियाणा प्रदेश की ही नहीं, बल्कि इसका नेटवर्क कई अन्य राज्यों से जुड़ा है।
लिहाजा पहली बार सरकार ने हरियाणा उत्तरी राज्यों का एक ऐसा सचिवालय स्थापित किया गया है, जो सिर्फ नशे तस्करी के खिलाफ ही काम करेगा। हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, दिल्ली व राजस्थान सभी राज्यों की पुलिस इस सचिवालय से जुड़कर नशा का नेटवर्क तोड़ने में काम करेगी।
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