नई दिल्ली: लगभग पांच वर्षों से देश में मोदी का जादू चल रहा है। भाजपा इस दौरान जमीन से आसमान पर पहुँच गई और हरियाणा भाजपा को भी मोदी के जादू का फायदा मिला वरना 2014 में किसी भी हालत में हरियाणा में भाजपा की सर्कार न बनती। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और मोदी ने मनोहर लाल को प्रदेश का सीएम बना दिया और मनोहर लाल ने अपना काम वैसे किया जैसे पीएम रहते हुए मनमोहन सिंह ने किया था। मनमोहन सिंह की ईमानदारी पर अब तक कोई सवाल नहीं उठा पाया और न ही हरियाणा के मनमोहन उर्फ़ मनोहर पर। दोनों नेताओं ने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया।
मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान देश में अरबों के घोटाले हुए और उनके वित्त मंत्री चिदंबरम अब भी तिहाड़ में हैं। कई बड़े घोटालों के कारण 2014 में कांग्रेस की सरकार आउट हुई। चुनावों के बाद मोदी पीएम बने। उस समय प्रणव मुखर्जी जैसे कई अच्छे नेता कांग्रेस के पास थे लेकिन उन्हें दरकिनार कर मनमोहन जैसे नेता को कुर्सी पर बिठाया गया और मनमोहन के कुर्सी पर बैठते थी तमाम घोटाले शुरू हो गए। यहाँ तक कि मैडम के दामाद कुछ ही समय में अरबों में खेलने लगे और वाड्रा ने तमाम बड़ी प्रापर्टी बना ली। अब भी राबर्ट वाड्रा पर जमीन खरीद फरोख्त के तमाम मामले चल रहे हैं।
2014 में ही हरियाणा विधानसभा चुनाव हुए और मनोहर लाल सीएम बने। सीएम मनोहर लाल पीएम मोदी की तरह कहते रहे कि न खाऊंगा न खाने दूंगा लेकिन हरियाणा अब तक के पास ऐसी जानकारियां है कि जैसे मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान खाने कमाने वालों की मौज आ गई थी ठीक वैसे मनोहर लाल सरकार के दौरान खाने वालों ने खूब खाया। खट्टर ईमानदारी का चोला पहन तमाशा देखते रहे। ऐसा नहीं है कि खट्टर ने प्रदेश में विकास के लिए पैसे न दिए हों। इन्होने अपने विधायकों, मंत्रियों को को मुंह माँगा पैसा दिया लेकिन लगभग 25 फीसदी रकम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। इसका प्रमुख कारण ये था कि खट्टर मनमोहन सिंह की तरह एक महाकमजोर नेता हैं और इनमे इतनी हिम्मत नहीं कि ये अपने भ्रष्ट अधिकारीयों और नेताओं को उंगली दिखा सकें। प्रदेश के तमाम अधिकारीयों को इस बात का पता था कि रोहतक की मंडी में टिंडे बेंचने वालों की इतनी औकात नहीं कि वो ऊंची आवाज में बात कर सकें। खट्टर के अधिकतर मंत्री भी खट्टर को बकलोल समझते थे। कुछ नेताओं ने खट्टर की कमजोरी पर आवाज उठाया तो अब संघ-शाह उनकी टिकट पर कैंची चलाने की बात कर रहे है ताकि पूरे देश के नेता कभी अपने किसे कमजोर नेता के खिलाफ आवाज न उठा सकें जिसे शाह ने कुर्सी सौंपी हो।
प्रदेश में दो बार बड़ी हिंसा हुई और लगभग 80 लोगों की जान चली गई। खट्टर तमाशा देखते रहे और मोदी शाह ने इन्हे बचा लिया। अफवाहें ये भी हैं कि खाने वालों ने खट्टर को कुर्सी पर बैठाया और प्रदेश में दो हिंसाओं के बाद भी खट्टर की कुर्सी इसलिए नहीं छीनी गई क्यू कि कोई धाकड़ नेता कुर्सी पर बैठेगा तो खाने वालों के बुरे दिन शुरू हो जायेंगे। हमने दो बार सर्वे किया ,खट्टर को लोग बहुत ही कमजोर सीएम बता रहे हैं लेकिन भाजपा हाईकमान इन पर मेहरबान है शायद अभी अम्बानी और अडानी पूरा हरियाणा नहीं खोद पाए हैं। आपको बता दें कि कहीं पीएनजी की लाइन कहीं रिलायंस का टावर , आप पूरे हरियाणा में गौतम अडानी और अम्बानी के ही कारनामे देख सकेंगे। खट्टर के कार्यकाल के दौरान अरावली लूट ली गई क्यू? दाल में कुछ कला जरूर है। सत्य थोड़ा कड़वा हो सकता है। सत्य तो सत्य है। जब कभी खट्टर सरकार जाएगी , दूसरी सरकार हरियाणा में आएगी तब खट्टर की पोल खुल सकती है। वक्त का इंतजार करें।
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