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अपनों ने दिया दर्द तो नम हुई गैरों की भी आँखें- क्या से क्या हो गए इंद्रजीत 

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चंडीगढ़: 27 सितम्बर 2019 : हरियाणा भाजपा के कई बड़े नेताओं को इन दिनों अपनी ही पार्टी के सामने गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। अपने परिजनों के टिकट के लिए उन्हें ऐसे नेताओं के आगे-पीछे घूमना पड़ रहा है जो उन नेताओं से कद में बहुत छोटे हैं लेकिन कलयुग होने के कारण ऐसे नेता इस समय बड़े पदों पर बैठे हैं। ऐसे नेताओं का दर्द देख उनके अपने ही नहीं विरोधियों को भी दुःख हो रहा है। 

बेटी आरती राव को विधानसभा चुनाव टिकट देने पर राव इन्द्रजीत सिंह द्वारा मोदी मंत्रीमंडल से त्याग पत्र देने की पेशकश की मीडिया खबरों पर प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने इस घटनाचक्र को अहीरवाल के कथित राजा राव इन्द्रजीत सिंह द्वारा अपनी कथित चौधर, सम्मान, पगड़ी, स्वाभिमान को भाजपा-संघ के सामने रखने के समान बताया। विद्रोही ने कहा कि 50 सालों से अपने को अहीरवाल व दक्षिणी हरियाणा का बेताज बादशाह मानने वाले रामपुरा हाऊस के मुखिया राव इन्द्रजीत सिंह की यह दुगर्ति भी होगी, इसकी पटकथा स्वयं राव साहब ने फरवरी 2014 में भाजपा में शामिल होकर खुद ही लिख दी थी। वर्ष 2013 में राव साहब भाजपा में शामिल होने के मंसूबे बना रहे थे तब मैंने व्यक्तिगत तौर पर चेताया था कि ऐसी गलती न करे, भविष्य में इसके दुष्परिणाम स्वयं उनको ही भुगतने पड़ेंगे।

 विद्रोही ने कहा कि वर्ष 2013 में राव को दी गई मेरी चेतावनी अब छह वर्ष बाद सही साबित होते दिख रही है। भाजपा ने राव इन्द्रजीत सिंह के कंधे पर बन्दूक  रखकर दक्षिणी हरियाणा में अपनी जडे जमा ली और आज उनके लिए राव इन्द्रजीत सिंह की हैसियत शतरंज के एक प्यादे से ज्यादा नही है। यदि राव साहब तिकडम करके अपनी बेटी आरती राव को भाजपा विधानसभा टिकट दिलवा भी देंगे तो यह तय है कि चुनाव बाद भाजपा राव साहब के ऐसे पर काटेगी कि न तो वे उड़ पायेंगे और न ही चल पायेंगे। 

विद्रोही ने कहा कि अपनी बेटी को टिकट दिलवाने के लिए राव का मोदी मंत्रीमंडल से त्याग देने की पेशकश से ही रातोरात अहीरवाल में राव का ग्राफ गिर गया और उन्होंने भाजपा के सामने ऐसी पेशकश करके खुद को बौना साबित कर लिया। अक्टूबर 2014 विधानसभा चुनाव में राव इन्द्रजीत सिंह ने खुद को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करके दक्षिणी हरियाणा के मतदाताओं से वोट मांगे ओर लोगों ने इस क्षेत्र की सभी 14 सीटे भाजपा की झोली में डाल दी जिसके दम पर भाजपा पहली बार अपने दम पर हरियाणा में सरकार बनाने में सफल हुई। 

विद्रोही ने कहा कि भाजपा ने राव को भाव न देकर मनोहरलाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया तब मैंने राव साहब से सार्वजनिक आग्रह किया था कि यदि उनमें जरा भी स्वाभिमान, इलाके की चौधर, सम्मान की भावना है तो वे केन्द्रीय राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देकर मात्र एक सांसद बनकर जनता की सेवा करे ताकि मतदाता से मुख्यमंत्री नाम से वोट मांगने की धोखाधड़ी उनके माथे पर न पड़े। लेकिन राव साहब ने उस समय स्वाभिमान व इलाके के हित की बजाय अपनी कुर्यी से चिपके रहना ज्यादा जरूरी समझा जिसके साईड इफेक्टस आज सामने आ रहे है और भाजपा में सबसे बड़े जनाधार वाले नेता राव इन्द्रजीत सिंह को अपनी बेटी को टिकट दिलवाने के लिए भाजपा नेतृत्व के सामने गिडगिडाना पड़ रहा है जो स्वयं जाहिर कर रहा है कि राव की भाजपा में स्थिति कितनी कमजोर है। 
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