नई दिल्ली: देश में ऐसे लोग भी हैं जो 18 घंटे तक काम करते हैं लेकिन ठीक से परिवार नहीं चला सकते। अपने बच्चों को पढ़ा नहीं सकते। लगभग दो दशकों में देश के कई हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं लेकिन देश में ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अरबों-खरबों विदेशी बैंकों में जमा किये हैं। दो दशकों से सिस्टम में कहीं न कहीं कोई न कोई कमी जरूर है। अमीर और अमीर बनता चला गया और गरीब और गरीब होता रहा। आज देश के कई दो नम्बरियों के होश उड़े हुए हैं जिन्होंने विदेशों में अपनी काली कमाई जमा की थी।
आज ऐसे भारतीयों के स्विस बैंक खातों की जानकारी भारत के कर-विभाग के पास होगी। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच बैंकिंग सूचनाओं के स्वतः आदान-प्रदान के समझौते के प्रभावी होने के साथ भारतीयों के स्विस बैंक खातों से रहस्य का पर्दा उठने की संभावना है। इसी साल जून में लोकसभा में पेश फाइनैंस पर स्टैंडिंग कमिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिकभारतीयों ने 1980 से लेकर साल 2010 के बीच 30 साल की अवधि में लगभग 246.48 अरब डॉलर (17,25,300 करोड़ रुपये) से लेकर 490 अरब डॉलर (34,30,000 करोड़ रुपये) के बीच काला धन देश के बाहर भेजा।
स्टैंडिंग कमिटी ने तीन अलग-अलग दिग्गज संस्थानों-एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम के अध्ययन के आधार पर यह जानकारी दी थी। स्टैंडिंग कमिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों संस्थानों का निष्कर्ष है कि जिन सेक्टर्स में सबसे ज्यादा काला धन पाया गया है उनमें रियल एस्टेट, माइनिंग, फार्मास्युटिकल्स, पान मसाला, गुटखा, तंबाकू, बुलियन, कमॉडिटी, फिल्म एवं एजुकेशन है।
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