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3200 अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों के भविष्य का फैसला 11 सितंबर को

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09 सितंबर। हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के आह्वान पर प्रदेश भर के निजी स्कूल संचालक भारी संख्या में 11 सितंबर को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से अगले दस वर्ष के लिए 3200 अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों की मान्यता संबंधी व अन्य समस्याओं के समाधान करवाने के पहुंचेंगे। यह बात प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू, रविंद्र नांदल, संजय धत्तरवाल,महाबीर यादव व तेलूराम रामायणवाला ने संयुक्त बयान में कही।
उन्होंने बताया कि पांच सितंबर को निजी स्कूल संचालक सहकारिता मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर से 3200 अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों को अगले दस वर्ष के लिए वन टाइम एग्जेमशन रूल के तहत मान्यता देने या फिर गेस्ट टीचर के सर्विस सिक्योरिटी बिल पास करके उन्हें राहत देने वाले नियम के तहत मान्यता प्रदान करने व अन्य मांगों के संदर्भ में मिला था। इस दौरान उन्होंने मंत्री ग्रोवर को पांच सितंबर को अध्यापक दिवस होने के नाते मान्यता संबंधी तोहफा देने की मांग की थी। जिस पर मंत्री ग्रोवर ने निजी स्कूल संचालकों को 11 सितंबर को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिलवाने के लिए चंडीगढ़ बुलवाया है।

 उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार ने सत्ता में आने से पहले निजी स्कूल संचालकों से वादा किया था कि वर्ष 2007 से पहले के चल रहे 3200 अस्थाई व परमिशन प्राप्त स्कूलों को सत्ता में आते ही मान्यता प्रदान की जाएगी। लेकिन आज तक सरकार के पांच वर्ष पूरे होने को है, लेकिन यह वादा पूरा नहीं हुआ। सरकार ने अन्य वर्गों से जो जो वादे किए थे, वे मुख्यमंत्री ने एक एक करके पूरे करते हुए प्रदेश के लोगों का दिल जीत लिया, वहीं निजी स्कूल संचालकों की समस्या ज्यों की त्यों पड़ी है। इसलिए प्राइवेट स्कूल संचालक चाहते हैं कि मुख्यमंत्री 11 सितंबर को उनके वादों को चुनाव आचार संहिता लगने से पहले पूरा करे, क्योंकि ये 3200 अस्थाई व परमिशन प्राप्त स्कूल बहुत वर्षों से चले आ रहे हैं और इनमें दशकों से हजारों अध्यापक व अन्य कर्मचारी लगातार काम कर रहे हैंऔर इन्हें साल दर साल मान्यता की अवधि बढ़वानी पड़ती है। इसलिए सरकार इन 3200 स्कूलों को अगले दस वर्ष की मान्यता अवधि बढ़ाए व एक कमरा एक कक्षा के हिसाब से आठवीं तक मान्यता दे तथा अन्य दूसरी समस्याओं को भी पूरी करे। उन्होंने बताया कि 3200 स्कूल सरकारों को करोड़ों रूपए संबंद्धता शुल्क व अन्य फंड के रूप में सरकार के राजस्व में जमा करवाते आ रहे हैं और बच्चों का बोर्ड का शानदार परीक्षा परिणाम देते आ रहे हैं तो सरकार इन स्कूलों को अगले दस वर्ष के लिए मान्यता देने से पीछे क्यों हट रही है।
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