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आक्रामक हुए खट्टर , कहा जिसने भी रॉबर्ट वाड्रा को फायदा पहुँचाया, बेनकाब कर दूंगा उन्हें 

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चंडीगढ़, 10 सितंबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने कहा है कि पिछली सरकारों के समय जिन लोगों ने जनता के पैसे का दुरुपयोग भ्रष्टाचार के रूप में किया है उन्हें वे बेनकाब कर के रहेंगे, चाहे वह कोई भी हो, जिनके माध्यम से रॉबर्ट वाड्रा को जमीन खरीद या सीएलयू के मामलों में फायदा पहुंचाने का कार्य किया गया है। इन मामलों की जांच या तो केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो या चौकसी ब्यूरो या प्रवत्र्तन निदेशालय जैसी जांच एजेंसियों को राज्य सरकार ने सौंपी है। कुछ मामले न्यायालय के विचाराधीन भी हैं। जांच रिपोर्ट व सबूतों के  आधार पर जो दोषी होगा उसे सजा होगी जो निर्दोष होगा तो छूट जाएगा।

मुख्यमंत्री अपनी सरकार का पांच वर्ष का कार्यकाल लगभग पूरे होने उपरांत सरकार की उपलब्धियों पर एक मीडिया साक्षात्कार के माध्यम से खुले मंच से चण्डीगढ़ में लोगों से रूबरू हो रहे थे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस नीति पिछले पांच वर्षों में उन्होंने अपनाई है और काफी हद तक इसमें सफल भी रहे हैं। ऑनलाइन अध्यापक स्थानांतरण नीति व पारदर्शी तरीके से मैरिट के आधार पर भर्ती इसके दो बडे उदाहरण हैं जिनकी चर्चा हरियाणा के लोग ही नहीं कर रहे बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी हो रही है। यहां तक की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 8 सितम्बर को अपने रोहतक दौरे के दौरान भी अपने सम्बोधन में कही थी।
एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि रॉबर्ट वाड्रा मामले में सरकार ने जस्टिस ढीगड़ा आयोग का गठन किया था और आयोग ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी। परन्तु कहीं न कहीं पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डïा को रिपोर्ट से इस बात का अंदेशा हो गया था कि रिपोर्ट में  उनके माध्यम से ही रॉबर्ट वाड्रा को फायदा पहुंचाने का कार्य किया गया। इसलिए उन्होंने ही कांग्रेस के बडे नेता एवं सर्वोच्च न्यायालय के जाने-माने वकील कपिल सिब्बल को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में खड़ा कर दिया, जिन्होंने ढीगड़ा आयोग के गठन पर ही प्रश्नचिह्नï लगा कर न्यायालय ने अपना तर्क दिया। अब मामला न्यायालय में है, परन्तु आयोग की रिर्पोट के बारे में न तो कपिल सिब्बल ने सवाल उठायाऔर न ही न्यायालय ने कुछ कहा है। सरकार का काम न्यायालय के आदेश पर जांच एजेंसियों के माध्यम से तथ्य उपलब्ध करवाना है जो सरकार ने किया है। यह इस मामले में सरकार की मंशा किसी प्रकार की राजनीतिक द्वेषता से कार्य करने की कभी नहीं रही।जब पूर्व मुख्यमंत्री स्वयं विधानसभा सदन में किसी भी एजेंसी से जांच करवाने को तैयार थे तो अब वे किस मुंह से इसे बदले की भावना से कार्य करने की बात कह रहे हैं। उनके खिलाफ अलग-अलग मामलों में अलग-अलग एजेंसियां अपने तरीके से जांच कर रही हैं।
क्या यह कांग्रेस को खत्म करने का रास्ता है पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा कोई एजेंडा नहीं है। पिछले पांच साल में जितने भी चुनाव राज्य में हुए हैं चाहे वह गुरुग्राम या फरीदाबाद नगरनिगमों के चुनाव हों या उसके बाद पंचायती राज संस्थानों के चुनाव हों या पांच नगर निगमों के मेयर के सीधे चुनाव हों या जींद विधानसभा का उपचुनाव हो और उसके बाद लोकसभा के चुनाव हों। लोगों ने भाजपा को जिस प्रकार 2014 के विधानसभा के चुनावों में पूर्ण बहुमत दिया था उससे भी बढकऱ पार्टी को अपना समर्थन दिया है। जींद उपचुनाव में तो पूरा विपक्ष भाजपा के विजयी रथ को रोकने के लिए एकजुट हो गया था। एक पार्टी ने तो अपने राष्टï्र स्तर के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को मैदान में उतार दिया और वह मुश्किल से 1000 वोटों से अपनी जमानत बचा पाया। लोकसभा चुनाव में भी पार्टी का एक तरफ समर्थन मिला। कांग्रेस ज्यादातर सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। जज्पा कहीं  दूसरे व कहीं  तीसरे स्थान पर रही। विधान सभा चुनाव में भी मुख्यत: सात-आठ पार्टियां चुनाव में उतरेंगी। परन्तु जिस आशा व अपेक्षा के साथ उनकी जन आशीर्वाद यात्रा को लोगों ने समर्थन दिया तो वे निश्चित रूप से कह सकते हैं कि विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को एक तरफा जीत मिलेगी।

देश में अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है। इस बारे पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि एक राष्ट्र-एक कर जीएसटी लागू होने के बाद कुछ राज्यों में अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है क्योंकि विनिर्माता राज्यों को जीएसटी का लाभ नहीं मिलता जो पहले वैट के रूप में मिलता था। हरियाणा का ऑटो क्षेत्र भी इससे प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद दर सीधे मंहगाई दर से जुड़ी होती है। पिछले कुछ वर्षों से मंहमाई दर नियंत्रित हुई है इसलिए हम इसको अर्थव्यवस्था की मंदी से नहीं देख सकते। अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी मंहगाई दर दो प्रतिशत तक होती है और जीडीपी कभी चार-पांच प्रतिशत से ऊपर नहीं होता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर हम सरकारी कर्मचारियों की मंहगाई भत्ते की दरें देखें तो छठा वेतन आयोग आने के बाद वर्ष 2006 से जुलाई 2009 तक साढ़े तीन वर्षों में 22 प्रतिशत मंहगाई भत्ता दिया गया जबकि सातवां वेतन आयोग देने के बाद वर्ष 2016 से जुलाई 2019 तक साढ़े तीन वर्षों में 12 प्रतिशत ही मंहगाई भत्ता कर्मचारियों को दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी में नैट वृद्धि पांच प्रतिशत है जबकि सामान्य वृद्धि दर 7.99 प्रतिशत तक है। हरियाणा की अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक है। गोवा व दिल्ली जैसे छोटे राज्यों को छोडक़र प्रतिव्यक्ति आय में हरियाणा बड़े राज्यों में अग्रणी है।
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