चंडीगढ़: हरियाणा भाजपा के हालात इधर कुआं-ुउधर खाईं जैसे हैं। कल से कहा जा रहा है कि हरियाणा में भाजपा सांसदों और मंत्रियों के परिजनों को टिकट से दूर रखा जाएगा। पार्टी अपनी नीति के नियम से चलेगी। अगर ऐसा हुआ तो टीम खट्टर का राह में कोई और नहीं भाजपा के बड़े नेता ही रोड़ा अटका सकते है। कल की बैठक में राव इंद्रजीत सिंह ने जिस तरह के तीखे तेवर दिखाए उसे देख लगता है कि परिजनों को टिकट न मिलने पर सभी नेता ऐसे तीखे तेवर दिखा सकते हैं।
आपको बता दें कि गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत, फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर, सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक, भिवानी महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मवीर सिंह, कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी, अंबाला के सांसद रतन लाल कटारिया और हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह और उनके पिता वीरेंद्र सिंह भाजपा से अपने परिजनों को विधानसभा चुनाव का टिकट देने की मांग कर रहे हैं। अब फैसला भाजपा हाईकमान पर छोड़ा गया है। भाजपा हाईकमान इस फैसले के बारे में मनन करेगा। माना जा रहा है कि हाईकमान भाजपा के कुछ उन सांसदों के परिजनों को टिकट दे सकता है जिनमे भाजपा सांसदों के परिजन पुराने भाजपा कार्यकर्ता हैं और संगठन से काफी समय से जुड़े हैं।
भाजपा की नीति की बात करें तो एक तरफ भाजपा एक व्यक्ति एक पद की बात करती है तो अमित शाह के पास आज भी दो-दो राष्ट्रीय महत्वपूर्ण पद क्यों हैं। उधर, राजनाथ सिंह के पुत्र भी विधायक हैं। वंशवाद की नीति हर नेता पर लागू होती है लेकिन कई अन्य राज्यों में भी भाजपा नेताओं के परिजनों को टिकट दी जा चुकी है।
Post A Comment:
0 comments: