नई दिल्ली: कई बार ऐसे मामले सामने आये हैं जिनमे महिलाएं या युवतियां किसी व्यक्ति पर मामला दर्ज करवा देती हैं कि फला व्यक्ति ने उन्हें शादी का वादा किया था और कई वर्षों तक उनसे रेप करता रहा। अब ऐसे मामलों को रेप नहीं माना जाएगा क्यू कि कई वर्षों तक सम्बन्ध बिना अपनी सहमति के कारण नहीं बन सकते। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे मामले ही सुनवाई करते हुए कहा है कि आपसी सहमति से बनाये गए शारीरिक सम्बन्ध को शादी का झूंठा वादा कर रेप करना नहीं कह सकते।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने सेल्स टैक्स में असिस्टेंट कमिश्नर महिला की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया। 2 जजों की बेंच ने महिला द्वारा सीआरपीएफ में डेप्युटी कमांडेंट के ऊपर लगाए रेप के आरोपों को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, दोंनों 8 साल से अधिक वक्त तक रिलेशनशिप में थे। दोनों इस दौरान कई मौकों पर एक-दूसरे के आवास पर भी रुके जिससे स्पष्ट है कि यह रिश्ता आपसी सहमति से बना था।
आपको बता दे कि देश भर में रोज ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिनमे महिलाएं पुरुषों पर ऐसे आरोप लगाती हैं। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि वादा करना और किसी कारण वादा न निभा पाना धोखा देना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी महिला का भरोषा जीतने के लिए झूंठा वादा करता है और झूठे वादे कर महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने में और आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने को लेकर गलत धारणा है। झूठा वादा कर धोखा देना वह स्थिति है जिसमें वादा करनेवाले शख्स के मन में जुबान देते वक्त उसे निभाने की सिरे से कोई योजना ही न हो।
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