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देश को नौकरी लेने वाले नहीं, नौकरी देने वालों की जरूरत, कौशल विकास पर ध्यान दें विद्यार्थी : कुलपति

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कुरुक्षेत्र, 8 अगस्त। राकेश शर्मा: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहा है कि विद्यार्थी के स्तर से ही किसी शिक्षण संस्थान के स्तर का आंकलन किया जाता है। जब विद्यार्थी मानवीय मूल्यों व जरूरी कौशल के साथ सामाजिक व व्यवसायिक जीवन में प्रवेश करता है। इससे ही समाज में किसी विश्वविद्यालय की साख बढ़ती है। विद्यार्थी ही विश्वविद्यालय के सबसे अच्छे राजदूत होते हैं। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य आने वाली पीढिय़ों के समग्र व्यक्तित्व का विकास है। मजबूत व्यक्तित्व, ऊंचे जीवन मूल्यों, संस्कार व संस्कृति को समझने वाले युवा विश्वविद्यालयों से निकलेंगे तभी हम उच्च शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे जीवन में कहीं भी पहुंचे लेकिन अपनी मॉं, मातृभाषा व मातृभूमि को न भूलें क्योंकि यही भविष्य में उनके जीवन की सफलता का आधार बनेगा। वे गुरूवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता विभाग की ओर से नए विद्यार्थियों के लिए आयोजित इंडक्शन कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। युवा शक्ति को रोजगार मिले व उसे सही दिशा में लगाया जा सके, इसके लिए देश को नौकरी लेेने वालों की बजाए नौकरी देने वाले तैयार करने की जरूरत है। जब देश में युवा उद्यमशील तैयार होंगे, नवाचार होगा तभी देश की वर्तमान व भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने युवाओं से अपील की कि डिग्रियों के पीछे दौडऩे की बजाए जीवन के लिए जरूरी कौशल हासिल करें। तभी वे जीवन में कामयाब हो सकेंगे। कुलपति ने कहा कि सफलता का अर्थ सिर्फ किसी पद को प्राप्त करना नहीं है, इसका अर्थ अपने व दूसरों के जीवन को दिशा देना है। समग्र व्यक्तित्व का विकास ही शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है। हमारे विद्यार्थी मूल्यवान व गुणवान बनें इसके लिए ही हम सभी को प्रयास करने चाहिए। कुलपति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश की अर्थ व्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थ व्यवस्था बनाने का जो लक्ष्य रखा गया है उसकी सराहना करते हुए कहा कि आर्थिक विकास से ही देश विश्व गुरू बन सकता है। इस मौके पर उन्होंने स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया व सरकार के अन्य कार्यक्रमों के महत्व के बारे में प्रकाश डाला।

 उन्होंने युवाओं से शोध व नवाचार की दिशा में काम करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कुछ पुस्तकों का जिक्र करते हुए कहानियों के माध्यम से सफलता पाने में संतोष पाने के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि युवाओं को चाहिए कि अंहकार को सफलता में बाधा न बनने दें। हमेशा अपनी मॉं, मातृभाषा व मातृभूमि को न भूलें। कुलपति ने विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई योजनाओं के बारे में बताया।इस मौके पर पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर शोक प्रकट किया गया व दिवंगत आत्मा की शंाति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।कार्यक्रम की समाप्ति राष्ट्रगान के साथ हुई। मंच का संचालन डॉ. अशोक कुमार ने किया। इस मौके पर कुलसचिव डॉ. नीता खन्ना, प्रो. अनिल वोहरा, प्रो. श्याम कुमार, प्रो. रजनीश शर्मा, प्रो. नरेन्द्र, सहित सभी डीन, विभागाध्यक्ष, अधिकारी, एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे। 
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